समय बदल रहा है: प्रिया

आज का समय
बदल रहा है

दुनिया भी हर घड़ी
बदल रही है,
हर लम्हा
खाली होती जा रही है,
जो शहर जिन लोगों से
गुलजार थे,
आज उनके ना होने से खाली
हो चुके है,
खाली हो चुका
घर का कोना
किसी खास के चले जाने से,
समय बदल रहा है

समय बदल रहा है

निजाम खुश है
अपनी कुर्सी के मद में,
चुनावों के प्रचार में,
अपनी जीत में भी,
अपनी हार में भी,
जनता मर रही है
प्रजातंत्र की आड़ में भी,
मृत्यु आँकड़ों का नाम है,
दिखावा है निजाम की सहनुभती भी,
हर दिन प्रश्न खड़े हैं निजाम के सामने ,
वे मौन खड़े हैं प्रजा के सामने,
समय बदल रहा है

समय बदल रहा है
चारों तरफ दर्द पसरा है,
कहीं मौत पसरी है,
कहीं डर पसरा है,
कहीं झुक गये है कन्धे दर्द से,
कहीं आँखें नम हैं हिम्मत पस्त से,
कहीं रुका है मुसाफिर
दुसरे का दर्द सुनने को,
जब गया है किसी परिचित की अन्तेष्टि में,
समय बदल रहा है

समय बदल रहा है

कहीं मौत ने खाली कर  दिया है घर,
कहीं शोक के लिये बचा है
दो वर्ष का मासूम बच्चा

समय बदल रहा है

प्रिया
दिल्ली