प्रकृति की कविता: गौरीशंकर वैश्य

प्रकृति भी
लिखती है कविता
संसार की हर भाषा में
कविता के विषय हैं
पेड़, पौधे, पुष्प, पशु, पक्षी
समुद्र,पर्वत, नदियाँ
प्रकृति और मनुष्य का
साहचर्य बहुत पुराना है
पग-पग पर एक दूजे के
काम आना है
सुख-दुःख
सुनना-सुनाना है
मनुष्य ने
प्रकृति की कविता को
सुना-समझा
जीवन में उतारा
अन्तर्मन में
सोचा-विचारा
बनाया स्वयं को
उन्नत, समृद्ध, संश्लिष्ट
खोजे बीज मंत्र क्लिष्ट
जागा प्रकृति के प्रति
श्रद्धा भाव
बढ़ता गया आत्मिक लगाव
आओ! प्रकृति की कविता सुनें
मनभावन विषय चुनें
प्रकृति को सहचर-साथी के रूप में मान दें
उसकी अभिव्यक्ति को सम्मान दें
प्रकृति नित नवीन कविता लिखे
दिन-प्रतिदिन
और सुखी-संपन्न दिखे

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117, आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश- 226022
दूरभाष- 09956087585