प्रेम का मनहर पाठ: गौरीशंकर वैश्य

विश्व को दर्पण दिखाती लेखनी
ज्ञान का दीपक जलाती लेखनी

प्रेम का मनहर पढ़ाती पाठ है
शौर्य का यशगान गाती लेखनी

रूप ले लेती कभी तलवार का
मार दैत्यों को भगाती लेखनी

ध्वंस कर देती निराशा भाव का
चेतना नूतन जगाती लेखनी

शान से ध्वज गाड़ती है सत्य का
झूठ को पल में हराती लेखनी

नवरसों से नवसृजन रससिक्त कर
प्राण को सुखमय बनाती लेखनी

प्रज्ज्वलित कर भाव-अक्षर-ज्योति को
तमस जीवन का मिटाती लेखनी

गौरीशंकर वैश्य विनम्र
117, आदिलनगर, विकासनगर,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश- 226022
दूरभाष-09956087585