समर्पण का सुख: जसवीर त्यागी

अपने व्यस्तम समय में से
कुछ समय
वह अपने लिए
बचाकर रखती है सुरक्षित

और फिर बड़ी सहजता से
थमा देती है मुझे

वैसे ही जैसे कोई
अपने भोजन की थाली
सौंपता है किसी भूखे को

कभी-कभी
अपने लिए
बचाकर रखने का सुख

दूसरे को दिये जाने वाले
संतोष के आगे
बहुत छोटा लगता है

जसवीर त्यागी