सर्जना के बिंदु क्या हों: संजय कुमार राव

सर्जना के बिंदु क्या हों !!

शौर्य की बीती कथाएं
या सतत् संघर्ष गाथा
रत्न की संचित मंजूषा
या कृषक का क्लान्त माथा
सोचता हूँ लिख सकूँ संवाद ज्यों रवि-रश्मियाँ हों!
सर्जना के बिंदु क्या हों!!

देह की सुंदर कलाएँ
या कि श्रमरत ग्रामबाला
स्वादमय अमृत सुधा
या गरलसम नीलाभ हाला
सोचता हूँ बंदिशों से प्रस्फुटित सुर-साधना हो!
सर्जना के बिंदु क्या हों!!

यज्ञ की समिधा सुवासित
या हवन की दग्ध ज्वाला
उदित सूरज की छटा या
शांत सुंदर सांध्य वेला
सोचता हूँ पढ़ सकूँ विश्रान्त मन की जो व्यथा हो!
सर्जना के बिंदु क्या हों!!

जागती-सी सुप्त आँखें
या उनींदा जागरण
चेतना से युक्त जीवन
या कि ओढ़े आवरण
सोचता हूँ कर सकूँ अवदान जग को जो सुलभ हो!
सर्जना के बिंदु क्या हों!!

संजय कुमार राव
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