शिव शंकर- गरिमा गौतम

शिव शंकर हम तुझको पूजे
बिगड़े ना कभी हमारे काम
तन-मन प्रफुल्लित हो जाता
जब दर्शन हो जाते नाथ
तुम अजर-अमर अविनाशी
भक्तों के हितकारी नाथ
दौलत सारी लुटा भक्तों में
अंग भभूती रमाये नाथ
मस्तक मंदाकिनी सोहे,
गल शोभित है नाग
भूत-प्रेत भक्त हैं तेरे
ओमकार जपते निशदिन नाथ
जगहित विष पी कर
महादेव हो गये नाथ
देवो के देव को प्रणाम
अपनी शरण में लो नाथ

गरिमा राकेश गौतम
कोटा, राजस्थान