फादर्स डे: सोनल ओमर

सोनल ओमर
कानपुर, उत्तर प्रदेश

सामने वाले घर से अचानक जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज आने लगी। मैं यूँ ही बिस्तर पर लेटी किताब पढ़ रही थी कि उठ बैठी। सामने खिड़की पर नजर डाली तो देखा कि सामने वाले घर में रहने वाला आदर्श अपनी पिता पर चिल्ला रहा है। किसी बात को लेकर शायद बहस हो गई थी उनके बीच। पर ये कोई नई बात नहीं थी। वो हमेशा अपनी पिता से ऊँची आवाज़ में बात करता था। मैंने उसे कभी उसकी पिता से अच्छे से बात करते नहीं देखा। हर छोटी बात पर गुस्सा होना उसकी फितरत थी। कभी-कभी शायद उसने हाथ भी उठाया है अपने पिता पर।

आदर्श उनकी इकलौती संतान है, इसलिए उनका आदर्श के पास रहना मजबूरी है। पत्नी के देहांत के बाद वे एकदम अकेले हो गए हैं, उन्हें सिर्फ अपने बेटे का सहारा था। लेकिन आदर्श अपने परिवार में ऐसा रम गया कि उसे पिता की कोई परवाह ही नहीं। आदर्श की पत्नी भी उनसे दिनभर के सारे काम करवाती है और कुछ कहने पर दोनों पति-पत्नी उन्हें जली-कटी बातें सुनाते हैं।

आज भी ऐसा ही कुछ हुआ, आदर्श के पिता उसे कुछ समझा रहे थे, शायद लेकिन वो अपनी ही धुन में था। पिता को धक्का देते हुए वो कमरे से बाहर चला गया, उसके पिता का दुख उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था। मेरी आँखों में भी हल्की नमी आ गई। सोचा कितने प्यार से उन्होंने अपने बेटे का नाम आदर्श रखा होगा, लेकिन अब उसमें बिल्कुल आदर्श नहीं है। फिर मैं अपने काम में व्यस्त हो गई। कुछ देर बाद फेसबुक लॉगइन किया तो आदर्श की एक पोस्ट नजर के सामने आई।

लव वाली इमोजी के साथ लिखा था… टुडे इस फादर्स डे एंड आई वांट टू टेल दैट आई लव माय फादर सो मच, यु आर अ ग्रेट फादर।

दोस्तों,
ये सिर्फ एक कहानी नहीं है बल्कि आज हमारे समाज की सच्चाई बनती जा रही है। हम हर साल फादर्स डे या मदर्स डे के मौके पर सोशल साइट्स पर अपने माता-पिता से प्यार करने की बात तो कबूल करते है, लेकिन असल जिंदगी में उनकी इज्जत न के बराबर करते है! रियल लाइफ में भी माता-पिता से मोहब्बत करने वाले बनिये, सोशल साइट्स तो ‘धोखा’ है।