गति ही जिन्दगी है- रमेश कुमार

और तेज और जल्दी और बेहतर
पहले से नवीन और अच्छा
विकास का पैमाना है परिवर्तन
परिवर्तन की गति
जल्दी-जल्दी काम करने वाली मशीनों का
जल्दी-जल्दी निर्माण और आविष्कार
जल्दी के काम और जल्दी हो

मनुष्य मशीनों की तरह
मशीनों पर मशगूल
आखिर गति ही जिन्दगी है
गति की गति जिन्दगी का स्वाद
ठहराव मौत और सुस्ती निराशा
है ये जिन्दगी के तय मानक

किन्तु मानक के सामने
अड़ गया प्रश्नचिन्ह
कोरोना ने बदल दी जिन्दगी की नसीहत
ठहराव ही जिन्दगी है
सत्य केवल जिन्दा बच जाना
जिसके लिए मनुष्य
न तैयार था न उसकी तैयारी

-रमेश कुमार
हिन्दी प्रवक्ता, चरखी दादरी
हरियाणा