तुम्हारे बिना: रामसेवक वर्मा

स्मृति में
खुशबू इस उपवन की,
गुम हो गई तुम्हारे बिना
गए तुम कहां दूर कितनी,
उपवन को संवारे बिना
सूख रही डाली डाली और,
पत्ती अब तुम्हारे बिना
अचानक क्यों खो गए इस चमन से,
अपने सपनों को लगाए किनारे बिना

तरस रहे इस उपवन के पुष्प,
स्पर्श को तुम्हारे
लालायित हैं नयन आप की,
झलक पाने को हमारे

क्या तुम फिर से,
इस बगिया को खिलाओगे
बता दो मुझे अब तुम,
हमारे बीच कब आओगे

रामसेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश