साहित्यकविता उम्मीद- सोनल ओमर By Sub-Editor - May 16, 2020 WhatsAppTwitterFacebookKooCopy URL दो मुझे उम्मीद की किरण हे, भगवन! कर्तव्य-पथ पे अग्रसर हो सकूँ। मैं प्राणी मात्र हूँ, चला जाता अंधकार में उद्देश्य को कैसे मैं पूर्ण कर सकूँ? हे ईश तुम ही मेरी आस, तुम उम्मीद साथ देना प्रभु गंतव्य को पा सकूँ। -सोनल ओमर