तुझे समझना मुश्किल है- सुरेंद्र सैनी

तुम अलग हो तुम्हें समझना मुश्किल है
तेरी पहेलियों  से सुलझना मुश्किल है

मेरे  हर  सवाल का जवाब तेरे पास है
तेरे किसी तर्क में उलझना मुश्किल है

अच्छा लगता है जब सावन बरसता है
बादलों  का  बे-बात गरजना मुश्किल है

तेरी हर ख़ता की नज़रअंदाज़ी होती है
तेरी मासूमियत पर तरजना मुश्किल है

सुन,तेरे हाथों की कारीगरी बेमिसाल है
तेरे इस हुनर को सरजना मुश्किल  है

‘उड़ता’ तेरी शायरी मय सा नशा करे,
लफ़्ज़ों की मरिजुआना उतरना मुश्किल है

-सुरेंद्र सैनी बवानीवाल ‘उड़ता’
झज्जर, हरियाणा
संपर्क +91-9466865227