यूं बिन बताए जाना- प्रीति चतुर्वेदी

जाता नहीं कोई हमें यूं छोड़कर
गया होगा ज़िन्दगी से वो हारकर
टूटा होगा उसका दिल अंदर तक
रोया होगा वो अकेले रातभर
इसलिए चला गया वो मुंह मोड़कर

नहीं दिया होगा किसी ने उसकी तकलीफ में साथ
कैसे काटी होगी उसने अकेले वो काली रात?
जिसमें था नहीं कोई उसके पास
परिवार था उससे कहीं दूर दराज
पर क्यों रखते है लोग ऐसे राज़?
जिसपर होता नहीं किसी को नाज़

था अकेला वो और उसकी तन्हाई
थी पल पल की साक्षी उसकी परछाई
नहीं नाप सकता कोई उसके दुख की गहराई
तभी हो गई उसकी इस दुनिया से रुसवाई
कर ली उसने अकेले अपनी बिदाई
जिसमें बजी नहीं कोई शहनाई।

नहीं भाया तेरा यूं बिन बताए जाना
नहीं भाया तेरा यूं कुछ न कहना
नहीं भाया तेरा यूं तकलीफें छुपाना
नहीं भाया तेरा यूं अकेले सब सहना
नहीं भाया तेरा यूं चुपके से निकल जाना
क्यों नहीं समझा तूने किसी को अपना
क्या यही था तुम्हारा सपना?

चार दिन की ज़िंदगी है यारों
जी लो हंसी खुशी से यारों
ग़म से भी मत घबराओ यारों
नकारात्मक सोच को दूर भगाओ यारों
सकारात्मकता को अपनाओ यारों
ज़िंदगी को गले लगाओ यारों
सुख दुख हैं हर सिक्के के दो पहलू
जिसको समझ कर ही कर सकते हैं
हम अपनी हर आरज़ू पूरी
जो राह न जाए कहीं अधूरी

-प्रीति चतुर्वेदी