ज़िन्दगी- अतुल पाठक

ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव के आते कई पड़ाव
सुख-दुख इक दूजे के पूरक जैसे धूप-छाँव

वक़्त का पहिया चलता ही रहता
क्षण-क्षण उसका बदलता रहता

क्या पता कब तक ज़िन्दगी
दो पल की ही तो है ज़िन्दगी

भ्रम में न पालो कभी ज़िन्दगी
जितना हँस लो, जी लो वही ज़िन्दगी

कभी फूल तो कभी काँटों सी मिली है ज़िन्दगी
सही मायने के अर्थ में ज़िन्दादिली है ज़िन्दगी

-अतुल पाठक
हाथरस,
उत्तर प्रदेश