इंसान ही है या कुछ और हो गए हम- मनु शर्मा

मानवीय समाज में हो रहे अमानवीय कृत्यों को देखते हुए, आज हमारे अंदर इंसानियत होना तो छोड़ो अपितु इंसान होने पर भी प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ा कर दिया है। देश हर दिन ऐसे ही कु-कृत्यों से रोज़ जूझ रहा है, वो भी उस समय जब हम कोरोना रूपी महामारी के साये में डरे और सहमे हुए है, देश 21 दिन का लॉक डाउन और उसके बाद 19 दिन का लॉक-डाउन का कहर झेल रहा है, ऐसी बिषम परिस्थिति में जब सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था और भारत की अर्थव्यवस्था अपने सबसे निचले स्तर पर है।तेल की कीमत भी अपने सबसे बुरे हाल में है, जिसकी कीमत माइनस मे तक पहुँचने पर है। ऐसे में देश के अंदर मॉब लीचिंग, बालात्कार, पथराव जैसी खबरें सुर्खियां बनी हुई है, लॉक-डाउन की आग में तप रहा देश को यह मॉब लीचिंग जैसी घटनाएं आग में घी डालने का काम कर रही है।
मॉब लीचिंग जैसी घटनाएं का इस समय आना एक भयावह स्थिति को बढ़ावा देना है और वह भी देश के उस हिस्से से जहाँ कोरोना वायरस के देश में सर्वाधिक मामले सामने आए है, कोरोना महामारी में शीर्ष पर रहने वाले महाराष्ट्र राज्य के पालघर से मॉब लीचिंग कि वह घटना ने हतप्रभ कर दिया है, इस घटना ने देश के हर व्यक्ति पर असर डाला है, कारण भी है,इस तरह की कोई भी घटना इंसानियत को तो नही बयां करती है, इस तरह की घटनाएं सिर्फ और सिर्फ इंसान और इंसानियत पर प्रश्न चिन्ह लगाता है।
मॉब लीचिंग के शिकार होने वाले 2 संतो सहित उनका 1 ड्राइवर भी था, जिन पर लगभग 200 लोगों द्वारा हमला कर मार डाला गया, मॉब लीचिग करने वालों में से 110 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है, पर बाकि 90 और कहाँ है? ठीक है 110 पर कोई कार्यवाही होगी या फिर आगे ऐसी और घटनाओं को बढ़ावा देने के लिए छोड़ दिया जाएगा? या फिर इनके लिए अवॉर्ड वापिस होंगे? फिर इनको देश में रहने पर भयावह माहौल नजर आएगा? या फिर वामपंथियों को इन 200 लोगों के कृत्य पर देश हित कहा जायेगा? मॉब लीचिंग के शिकार हुए लोगों को वामपंथियों द्वारा क्या कहा जायेगा? क्या वामपंथियों को यह यह मॉब लीचिंग दिखेगी? जी नही दिखेंगी, दिखेगी तो आँख बंद करके उस पर से निकल जाएंगे? मॉब लीचिंग की इस घटना पर वामपंथियों ने शायद अभी मोर्चा संभाला नहीं है, या इस बार संभालना नहीं चाहते है? सोशल मीडिया पर ट्रेंड में नही लाया गया क्या अभी पता नही चला क्या?
इंसानियत को शर्मसार करती घटनाएं नित्य-नए रूप में आ रही है, कभी मॉब-लीचिंग तो कभी नेत्रहीन बैंक मैनेजर के साथ बालात्कार, कभी लॉकडाउन में मदद को लगी पुलिस पर पथराव तो कभी टेस्ट करने आये डॉक्टरों-नर्सो की टीम पर थूकना, पथराव करना एक नयी पहचान सी बन गयी है और इंसानियत किसी की मदद न करके वीडियो बनाकर इंसानियत दिखाने की होगयी है। इंसान की मानवता आज गर्त में जाते हुए नजर आती है।

जिस देश में हम रहते है,वहाँ सदा से ही यही सिखाया जाता है ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ और ‘सब धर्मों को समान’ के सम्मान की बात कही गयी है, जहाँ इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं हो वहाँ इस तरह की घटनाएं वाकई में दिल को चकनाचूर कर देने वाली होती है।

-मनु शर्मा
अशोकनगर