पशुपालन से करोड़ों लोगों को रोजगार संभव

पशुपालन हमारे आर्थिक जगत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है किंतु हमारी सरकारें इस पर ध्यान नहीं दे रही है पशुपालन से अनेक प्रकार के उद्योग लगाए जा सकते हैं तथा इससे लगभग 4 से 5 करोड़ लोगों को रोजगार गांव में रह कर ही लिया जा सकता है इससे नाना प्रकार के होने वाले लाभ हम नीचे दर्शा रहे हैं जैसे दूध, गोबर, गोमूत्र, मांस हुआ चमड़ा से अनेक प्रकार के उद्योग लगाए जा सकते हैं।
हमें आज इस पर एक पशुपालन नीति बनाकर ध्यान देने की आवश्यकता है यदि हम इसे कर ले गए तो विदेशों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा और अपने देश के लोगों को रोजगार होंगे। हमारी 40 करोड़ की बेरोजगार जनता आज रोजगार की आस लगाकर बैठी है किंतु आखिर कब तक आज जनता को चाहिए कि अपने विवेक पर जोर दें तथा स्वता ही रोजगार के संसाधन निकालें। हम जानते हैं कि कोई भी सरकार हमारे खूंटे पर गाय बकरी भैंस को बांधने नहीं आएगी यह काम जनता को स्वता ही करना होगा।

1. दूध- आज देश में सिंथेटिक दूध की भरमार है हमें कृतिम दूध मिल रहा है पैकेट में उपलब्ध है विभिन्न प्रदेशों में अनेक प्रकार की डेरियाँ लगी हुई है दूध का हमें आयात करना पड़ रहा है दूध की खपत इतनी ज्यादा है कि उसकी आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।
हमें चाहिए कि हमारे नौनिहाल, पुरुष तथा महिलाओं को शुद्ध दूध मिले तो उनकी बीमारी से प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा मिलेगा और शरीर उनका स्वस्थ रहेगा। स्वस्थ शरीर में सारे कामों का अंजाम देने के काबिल होगा। हमें शुद्ध दूध के उत्पादन के लिए पशुपालन को बढ़ावा देना पड़ेगा ताकि भारी मात्रा में दूध उत्पादन किया जा सके और दूध से बनने वाले प्रोडक्ट, मक्खन, खोवा निर्मित मिठाइयां देश ही नहीं विदेशों तक इसकी असीम आवश्यकता है, जिसे वर्तमान में हम पूरा करने में अक्षम साबित हो रहे हैं तथा रोजगार के अवसर भी कम हो रहे हैं।
इससे दूध देने वाले पशु हमारे दूध की आवश्यकता को पूरा कर सकें तथा उससे ज्यादा मात्रा का दूध यदि सरप्लस साबित हो तो उसे हम विदेशों में निर्यात कर धन अर्जित कर सकें। एक सच्चा कुटीर उद्योग होगा। हम राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में इसे बेच कर धन कमा सकते हैं। शुद्ध दूध के पीने से हमारे मनुष्य के स्वास्थ्य पर अच्छा लाभ दिखाई देगा और बीमारी प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा तभी हम कोरोना जैसी घातक बीमारियों का सामना कर पाएंगे तथा जोड़ों में दर्द और शरीर की शिथिलता दूर होगी, शरीर शक्तिमान होगा।
हमें सिंथेटिक दूध से छुटकारा मिल जाएगा मिल्क डेरी फॉर्म से अनेक प्रकार से बनने वाले प्रोडक्ट हम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छे दामों में बेच पाएंगे।

2. गोमूत्र- गोमूत्र का संचय करके हम उससे अनेक प्रकार की आयुर्वेद दवाओं का निर्माण कर सकते हैं जैसे कैंसर, टर्बो क्लासेस, रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों का इलाज इन से संभव है हमें आयुर्वेद के द्वारा बनाई गई दवा सस्ते दाम पर मिलने लगेंगे। जिनका की कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है और इन से निर्मित दवाई हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक साबित होगी।

3. गोबर- जानवरों से मिलने वाला गोबर हमारे जैविक खाद को बनाने में सहायक होगा। गोबर के प्रयोग से हमारी खेती पर इसका अनुकूल असर पड़ेगा और जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ जाएगी तथा शुद्ध शुद्ध खाद्यान्न हमें मिलने लगेगा। गोबर के उपयोग से पेड़ पौधों को भी पोस्टिक आहार मिलेगा उनसे होने वाले फल बहुत ही स्वादिष्ट तथा बहुत ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।
अत्यधिक गोबर के होने से गोबर की गैस के द्वारा हम उसको ऊर्जा में बदल सकते हैं तथा गोबर गैस से लाइट घर में जलाई जा सकती है। गोबर की गैस से घर की रसोई भी पकाई जा सकती है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होगी। गोबर से ही हम धूप तथा अगरबत्ती का निर्माण करते हैं जो कि हमारी पूजा पाठ के काम में आता है।

4. मांस- जानवरों से मिलने वाले मांस का निर्यात भी अच्छे दामों में किया जा सकता है। आज खाड़ी देशों में तथा यूरोप व मिडिल ईस्ट के देशों में देखा जा रहा है कि भारतीय मांस की अत्यधिक जरूरत है जो कि आज हमारी बहुत सारी संस्थाएं अपने देश से इस पर काम कर रही है, किंतु आवश्यकता को पूरा नहीं कर पा रहे हैं, हम दुधारू पशुओं की हत्या ना कर।
दूध ना देने वाले जानवरों के मांस को निर्यात भी कर सकते हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी लाभ मिलेगा व रोजगार के अवसर भी प्राप्त होने लगेंगे। इन जानवरों के द्वारा मिला मांस स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होगा तथा अंतर्राष्ट्रीय मानक पर खरा उतरेगा।

5. चमड़ा उद्योग- जानवरों के मरने की स्थिति में उन से प्राप्त होने वाले चमड़े से अनेक प्रकार के उद्योग लगाए जा सकते हैं जिनकी भारी डिमांड अंतरराष्ट्रीय बाजार में बनी हुई है और पूरी नहीं हो पा रही है। चमड़े से बनने वाले बेल्ट, जूते, पर्स, सीट कवर आदि की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी जरूरत है तथा दुनिया का कोई भी देश इसे पूरा नहीं कर पा रहा है और यह भारत में संभव है।
किंतु भारत को पशुपालन नीति पर काम करना होगा। हमें रोजगार के लिए किसी दूसरे देश पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा और 40 करोड़ की बेरोजगारों की फौज में से लगभग 2 करोड़ के लोग इसका लाभ ले सकते हैं इनमें रोजगार उनको उपलब्ध होगा।
पशुपालन की नीति पर यदि सरकार काम करें तो मेरा चैलेंज है इसमें लगभग 4 से 5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है। हमें किसी चीज की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है कि बढ़ती आबादी का क्या होगा। हमारा देश इससे डबल आबादी को भी को भी सुरक्षित रोजगार मुहैया करा सकता है, किंतु हमें दूसरे देशों के ऊपर आश्रित नहीं होना चाहिए।
हमें अपने देश के अंदर पशुपालन नीति, कृषि नीति जैसी योजनाओं को अमलीजामा पहनाना पड़ेगा और इसके सार्थक लाभ बहुत ही शीघ्र दिखाई देने लगेंगे।

-वीरेंद्र तोमर
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