जहां तक में जानता हूं कि अच्छे स्वास्थ्य की चाहत तो सबको रहती है, पर क्या उसको पाने के लिये हम सभी वो सारे प्रयत्न करते हैं? जैसे, योग, प्राणायाम, व्यायाम, प्रतिदिन सुबह की सैर को जाना, अपने खान-पान की उचित देखभाल, दिन प्रतिदिन की दिनचर्या में पैदल चलने की आदत डालना इत्यादि।
स्वस्थ्य रहना तो सभी चाहते हैं, पर इन सबके लिये किये जाने वाले प्रयत्नों से बच निकलना चाहते हैं, चाह कर भी हम अपनी जीभ पर कन्ट्रोल नहीं कर पाते, हर दिन खुद से वादा कर खुद से ही मुकर जाते है कि आज नहीं कल से करूंगा, आज तो खाने दो, कल से डाइट कन्ट्रोल करुंगा, आज थोड़ी सी मिठाई चख लूँ, कल से छुऊगां भी नहीं। आज से नहीं, कल से प्रतिदिन व्यायाम करूंगा, ये बहाने अक्सर हम खुद़ से कर के अपना ही नुकसान करने लगते हैं। इस लेख के जरिये में आपके दिल और दिमाग को झकझोरना चाहता हूँ और आपके अन्तरमन में बैठा हुआ आलस्य को बाहर निकाल कर आपको स्वस्थ देखना चाहता हूँ।
अपने शरीर को स्वस्थ्य, रखना भी एक कर्तव्य है, अन्यथा आप अपने तन मन, और सोच को, अच्छा और स्वस्थ्य नहीं रख पायेंगे। क्योंकि आप स्वस्थ्य होंगे तभी सकारात्मक विचारों का संग्रह कर पायेंगे और पोजीटिव दृष्टिकोण होगा। अपने शरीर की भी बिल्कुल ऐसी देखभाल कीजिए, जैसे आप अपने मोबाइल की हर वक्त रखते हैं। समय समय पर आपका शरीर भी अपनी सर्विस मांगता है और ध्यान रखिए कि उसको समय से सर्विस (रक्त जाँच/जरुरी निरीक्षण) कराते रहिए, उसको भी टैमपर्ड और स्क्रीन गार्ड रूपी बाहरी विदेशी तत्वों से बचाना जरूरी होता है। आपका शरीर स्वस्थ्य है तो सच मानिए दोस्तो, आप सबसे सुखी और धनवान है और जीवन की हर जंग को बखूबी जीत सकते हैं। क्योंकि आपके पास चाहे अथाह दौलत और शौहरत हो, लेकिन आप शारीरिक पीडा़ से ग्रसित है, तो वो सारी दौलत, शौहरत, रूतबा सब बेमानी लगता है।
यकीन मानिए अगर आप शरीर से स्वस्थ्य हैं तो आपसे ज्यादा कोई सुखी, संतुष्ट और धनवान इंसान नहीं।
-सुनील माहेश्वरी
मोटीवेशनल लेखक-ब्लाॅगर