वक़्त वक़्त की बात है जनाब, आज आप आसमान पे जरूर हैं, पर आप आसमान नहीं है। माना कि ऊपर वाले का हाथ है, पर आप ऊपर वाले तो नहीं हैं। एक वक्त आपका भी आएगा, जब आप इसी धरती में दफन कर दिए जाएंगे।
जनाब इतना भी गुरुर का क्या करेंगे, क्योंकि इंसान हो या मोती एक दिन बिखरता जरूर है। आप थोड़े मशहूर क्या हुए, खुद को आसमान ही समझ लिए, अरे जनाब कभी गुजरिये उस शमशान घाट की तरफ, आप से बड़े भी वहाँ खुद को भस्म करने के लिए कतार में लगे हैं।
ये दौलत और ये रुतबा सब दो पल की कहानी है, अब आप इसे पाकर खुद को आसमान समझ बैठे हैं। आसमान भी अपना रंग मौसम बदलने पे बदल देता है, उसका भी रंग नीले से कभी काला हो जाता है, आप तो जनाब फिर भी एक इंसान हैं।
दुख आने पे आप भी उसी खुदा के दर पे जाते हैं, तो मैं कैसे मान लूं कि आप आसमान जैसे हैं। ये वक़्त वक़्त की बात है जनाब, आज आपका है, कल किसी और का होगा, क्योंकि खुदा की रहमत जितनी आप पर होगी उतनी ही सारे जहाँ पे होगी, हाँ बेशक आज आपका वक्त है जनाब, पर आप कोई आसमान नही हैं।
अभिषेक के. अग्रहरि
लखनऊ