घर में लगा तुलसी का पौधा आसपास की वायु को शुद्ध करने के साथ ही वातावरण को पवित्र करता है। इसके साथ ही तुलसी में अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। विभिन्न रूपों में तुलसी का सेवन करने से कई रोगों से रक्षा होती है।
सनातन मान्यता है कि जहाँ तुलसी के पौधे अत्यधिक मात्रा में होते हैं, वहाँ की हवा शुद्ध व पवित्र रहती है। तुलसी के पत्तों में एक विशेष प्रकार का द्रव्य होता है, जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता है।
वहीं वैज्ञानिक मतानुसार तुलसी में विद्युत-शक्ति अधिक होती है जो कि ग्रहण के समय सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणों का प्रभाव खाद्य पदार्थों पर नहीं होने देती। अतः सूर्य-चन्द्र ग्रहण के समय खाद्य पदार्थों पर तुलसी की पत्तियाँ रखने की परम्परा है।
तुलसी के पास बैठकर प्राणायाम करने से कीटाणुओं का नाश होकर शरीर में बल, बुद्धि व ओज की वृद्धि होती है। दूषित जल की शुद्धि के लिए जल में तुलसी की हरी पत्तियाँ डालें। इससे जल शुद्ध व पवित्र हो जाएगा।
प्रातः खाली पेट तुलसी के 8-10 पत्ते खाकर ऊपर से एक गिलास पानी पीकर टहलने से बल, तेज, स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है व जलंदर भगंदर, कैंसर जैसी बीमारियाँ पास भी नहीं फटकती है।
तुलसी में एक विशिष्ट क्षार होता है। तुलसी का स्पर्श व दर्शन भी लाभदायी है। यह शरीर की विद्युत को बनाये रखती है। तुलसी की माला धारण करने वाले को बहुत-से रोगों से मुक्ति मिलती है।
तुलसीदल में एक उत्कृष्ट रसायन पाया जाता है। वह गर्म और त्रिदोषनाशक है। जो रक्तविकार, ज्वर, वायु, खांसी, कृमि निवारक है तथा हृदय के लिए हितकारी है। शीत ऋतु में तुलसी की 5-7 पत्तियों में 3-4 काली मिर्च तथा 3-4 बादाम मिलाकर, पीसकर सेवन करने से हृदय को शक्ति प्राप्त होती है।
सफेद तुलसी के सेवन से त्वचा व हड्डियों के रोग दूर होते हैं। काली तुलसी के सेवन से सफेद दाग दूर होते हैं। तुलसी की चाय पीने से ज्वर, आलस्य, सुस्ती तथा वात-पित्त विकार दूर होते हैं व भूख खुलकर लगती है। तुलसी की चाय में तुलसीदल, सौंफ, इलायची, पुदीना, सौंठ, काली मिर्च, ब्राह्मी, दालचीनी आदि का समावेश किया जा सकता है।
तुलसी सौन्दर्यवर्धक व रक्तशोधक है। सुबह शाम तुलसी व नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर घिसने से काले दाग दूर होते हैं व सुन्दरता बढ़ती है। ज्वर, खांसी, श्वास के रोग में तुलसी का रस 3 ग्राम, अदरक का रस 3 ग्राम व एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से फायदा होता है।
तुलसी के रस से जठराग्नि प्रदीप्त होती है। तुलसी का रस कृमिनाशक है। तुलसी के रस में नमक डालकर नाक में बूँदे डालने से मूर्छा हटती है, हिचकी रूकती है। यह किडनी की कार्यशक्ति को बढ़ाती है। रक्त में स्थित कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करती है। सेवन से एसिडिटी, स्नायुओं का दर्द, सर्दी-जुकाम, मेदवृद्धि, मासिक सम्बंधी रोग, बच्चों के रोग, विशेषकर सर्दी, कफ, दस्त, उल्टी आदि में लाभ करती हैं। तुलसी हृदयरोग में आश्चर्यजनक लाभ करती है।
तुलसी की सूखी पत्तियों को अच्छी तरह पीसकर उसका गाढ़ा लेप चेहरे पर लगाने से त्वचा के छिद्र खुल जाते हैं। पसीने के साथ अशुद्धि निकल जाने से त्वचा स्वच्छ, दुर्गन्धरहित, तेजस्वी व मुलायम बनती है। चेहरे की कान्ति बढ़ती है ।
तुलसी के सेवन से विटामिन ʹएʹ तथा ʹसीʹ की कमी दूर हो जाती है। खसरा निवारण के लिए यह रामबाण इलाज है। किसी भी प्रकार के विषविकार में तुलसी का स्वरस यथेष्ट मात्रा में पीना चाहिए। तुलसी के स्वरस का पान करने से प्रसव-वेदना कम होती है।
20 तुलसी पत्र एवं 10 कालीमिर्च एक साथ पीसकर हर आधे से दो घंटे के अंतर से बार-बार पिलाने से सर्पविष उतर जाता है। तुलसी का रस लगाने से जहरीले कीड़े, ततैया, मच्छर का विष उतर जाता है।
स्वप्नदोष होने पर 10 ग्राम तुलसी के बीज मिट्टी के पात्र में रात को पानी में भिगो दें व सुबह सेवन करें। इससे लाभ होता है। तुलसी के बीजों को कूटकर व गुड़ में मिलाकर मटर के बराबर गोलियाँ बना लें। प्रतिदिन सुबह शाम दो-दो गोली खाकर ऊपर से गाय का दूध पीने से नपुंसकत्व दूर होता है, वीर्य में वृद्धि होती है, नसों में शक्ति आती है, पाचन शक्ति में सुधार होता है।
जल जाने पर तुलसी के स्वरस व नारियल के तेल को उबालकर, ठण्डा होने पर जले भाग पर लगायें। इससे जलन शांत होती है तथा फफोले व घाव शीघ्र मिट जाते हैं। विद्युत के तार का स्पर्श हो जाने या वर्षा ऋतु में बिजली गिरने के कारण यदि झटका लगा हो तो रोगी के चेहरे और माथे पर तुलसी का स्वरस मलें। इससे रोगी की मूर्च्छा दूर हो जाती है।
शीत ऋतु में आरोग्यवर्धक तुलसी पेय
सामग्री- 5 ग्राम सूखे तुलसी पत्तों का चूर्ण या 25 ग्राम ताजे तुलसी पत्ते, 1.5 ग्राम सोंठ चूर्ण या 5 ग्राम ताजा अदरक, 1.5 ग्राम अजवायन, 0.5 ग्राम काली मिर्च, 1.5 ग्राम हल्दी चूर्ण।
विधि- 1 लीटर पानी में उपरोक्त सभी चीजें अच्छी तरह उबालें। 8 व्यक्तियों के लिए यह पर्याप्त है। यह आरोग्यप्रदायक सात्त्विक पेय सर्दियों में चाय का बेहतर विकल्प है। यह सर्दी-जुकाम एवं बुखार में बहुत लाभकारी है।