पहल व राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में जबलपुर के रानी दुर्गावती संग्रहालय की कला वीथिका में प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की जन्मशती वर्ष में उन पर केन्द्रित पेंटिंग पर आधारित कैलेण्डर व पोस्टरों का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम में परसाई को चित्रांकन, विमर्श व व्याख्यान से याद किया गया। विमोचित कैलेण्डर में परसाई की पेंटिग नगर के चित्रकार अवधेश बाजपेयी ने बनाई है। अवधेश बाजपेयी हरिशंकर परसाई की जीवंत (लाइव) पेंटिंग बना कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
इप्टा की राष्ट्रीय कार्य समिति के सचिव मण्डल के सदस्य शैलेन्द्र कुमार ने मुख्य वक्तव्य देते हुए कहा कि हरिशंकर परसाई युगों तक अपने लेखन के लिए याद किए जाएंगे। उनके लेखन में समाज के निचले स्तर के समाज की चिंता को ले कर थी। उनका व्यंग्य करूणा के साथ कचोटता भी था। राजीव कुमार शुक्ल ने बीज वक्तव्य में कहा हरिशंकर परसाई एक लोक शिक्षक थे। उनके निरंतर लेखन की मिसाल देश में अद्भुत है। वे हर समय सब तरह की सत्ताओं से भिड़ते और मनुष्यता के पक्ष में रहे। परसाई की गद्य सूक्तियां वर्षों तक याद रखने वाली है यह भविष्य के कई दशकों तक सबक के रूप में याद रखी जाएंगी।
अपनी रचना प्रक्रिया पर पर वक्तव्य देते हुए चित्रकार अवधेश बाजपेयी ने कहा कि वे कला की दुनिया के साथ-साथ साहित्य की दुनिया में भी सघन रूप से रहते हैं। इसी के तहत परसाई रचना संसार को जानने का मौका मिला। मेरे चित्र व शिल्प कला की दुनिया में परसाई का भी बहुत प्रभाव है या मैं कह सकता हूँ दुनिया को देखने की दृष्टि मुझे परसाई से बहुत ज्यादा मिली। अवधेश बाजपेयी ने कैलेण्डर के चित्रों के बारे में बताया कि इसमें परसाई के व्यक्तिगत रूप को प्रदर्शित किया गया है। रंग संयोजन, वातावरण परसाई के रचना संसार के अनुकूल हो जैसे साइकल, पान के टपरे, मालवीय चौक, उनके गांव जमनी के आसपास भीम बैठका, आदिम गढ़ की पहाड़ियों के शैल चित्र, होशंगाबाद, नर्मदा आदि का चित्रण किया गया। अवधेश बाजपेयी ने कहा कि अपने काम में पारश्रमिक को लेकर कोई आग्रह नहीं था, बल्कि हमारी नीयत चित्रों के माध्यम से परसाई जी को उनके विचारों के साथ और अधिक विस्तार देने का था।और कला और साहित्य के बीच एक पुल बनाने की जरूरत है।
अशोक महेश्वरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हरिशंकर परसाई के कैलेण्डर में भागीदारी व सहभागिता कर राजकमल प्रकाशन को बेहद प्रसन्नता हुई है। उन्होंने कहा कि आज समाज में आपसी संवाद प्रायः मुश्किल हो चला है। असहमति के लिए जगह लगातार घटती जा रही है। सचाई को बयान करना और सचाई को स्वीकार करना, दोनों बातें नहीं रह गई हैं।ऐसे में, परसाई जी जैसे महान व्यंग्यकार की जन्मशती मनाना निश्चय ही उम्मीद जगाने वाली बात है। कार्यक्रम का संचालन इंदु श्रीवास्तव ने किया।