विख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई जन्मशती वर्षारम्भ के अवसर पर रानी दुर्गावती संग्रहालय की कला वीथिका में पहल एवं सविता कथा सम्मान समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कथा कविता प्रसंग के पहले दिन आज प्रात:कालीन सत्र में विचारक एवं आलोचक राजीव कुमार शुक्ल ने समकालीन हिन्दी उपन्यास पर वक्तव्य देते हुए कहा कि समकालीनता को अपने समय के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। इस समय नई वाली हिन्दी के नाम बिल्कुल आधुनिक कथ्य और शिल्प में युवा पीढ़ी उपन्यास लेखन कर रही है और इस बदलते समय की पड़ताल करने उसे भी परखा जाना जरुरी है।
सुबह के सत्र में देवास से आमंत्रित वरिष्ठ कथाकार प्रकाश कांत ने ‘शहर की अंतिम चिड़िया’ और सागर से आमंत्रित युवा कथाकार आशुतोष ने ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित कहानी ‘यही ठइया नथिया हेरानी’ का पाठ किया। दोनों कहानियों की मुख्य पात्र महिलाएं थीं। शहर की अंतिम चिड़िया कहानी की पृष्ठभूमि शहर और यही ठइया नथिया हेरानी की पृष्ठभूमि ग्रामीण है। आशुतोष ने अपनी कहानी में मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग किया, जबकि प्रकाशकांत की कहानी की विशेषता प्रतीकों का उपयोग रहा।
शाम के सत्र में दिल्ली से आमंत्रित योगेन्द्र आहूजा व भोपाल से आमंत्रित तरुण भटनागर ने अपनी कहानियों का पाठ किया। बांदा से आमंत्रित शशिभूषण मिश्र ने समकालीन कहानियों पर वक्तव्य देते हुए कहा कि वर्तमान में युवा पीढ़ी कथ्य व शिल्प में अद्भुत कहानियां लिख रही है। इन कहानियों को पाठक को नए परिप्रेक्ष्य में पढ़ना चाहिए।
कार्यक्रम में पंकज स्वामी, डॉ योगेन्द्र श्रीवास्तव, गर्जन सिंह बरखड़े, बांकेबिहारी ब्यौहार, शरदचंद्र उपाध्याय, मुरलीधर नागराज, कुंदन सिंह परिहार, साधना उपाध्याय, अनामिका तिवारी, अजय यादव, मुकुल यादव, शरणजीत गुरु एवं बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ कथाकार राजेन्द्र दानी ने दो दिवसीय आयोजन के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन विवेक चतुर्वेदी और आभार प्रदर्शन डॉ भारती शुक्ला ने किया।
रविवार 15 जनवरी को शाम 7 बजे के तृतीय सत्र में दिल्ली के ओम निश्चल समकालीन कविता पर व्याख्यान देंगे। इस सत्र में देवास के बहादुर पटेल, अंबिकापुर की मृदुला सिंह, दिल्ली की लीना मल्होत्रा, भोपाल की नेहल शाह और जबलपुर के विवेक चतुर्वेदी व श्रद्धा सुनील कविता पाठ करेंगे।