डॉ. निशा अग्रवाल
शिक्षाविद, पाठयपुस्तक लेखिका
जयपुर, राजस्थान
आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन छात्रों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गए हैं। जहां यह एक महत्वपूर्ण शैक्षिक उपकरण हो सकता है, वहीं इसके दुरुपयोग के खतरे भी बड़े हैं। कई विद्यालयों में यह बहस होती रहती है कि छात्रों को मोबाइल फोन की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। इस संदर्भ में, दो दृष्टिकोण सामने आते हैं- पूर्णतः मोबाइल वर्जित और आंशिक रूप से मोबाइल वर्जित। दोनों दृष्टिकोण के अपने-अपने लाभ और चुनौतियाँ हैं। इस लेख में इन दोनों विकल्पों के तुलनात्मक अध्ययन को शामिल किया गया है।
मोबाइल फोन पूर्णतः वर्जित नीति
इस नीति के तहत, छात्रों को विद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार से मोबाइल फोन के उपयोग की अनुमति नहीं होती। कुछ विद्यालयों में इस नियम का पालन बहुत सख्ती से किया जाता है, और अगर कोई छात्र मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए पाया जाता है, तो उसे अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
लाभ
- ध्यान केंद्रित करना: पूर्णतः मोबाइल वर्जित नीति से छात्रों का ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित रहता है। मोबाइल फोन का उपयोग न होने से वे सोशल मीडिया, गेमिंग या अन्य गैर-शैक्षिक गतिविधियों में नहीं उलझते।
- समय की बचत: मोबाइल फोन पर लगे रहने से छात्रों का बहुत समय बर्बाद हो सकता है। यह नीति समय की बर्बादी को रोकने में सहायक होती है।
- अनुशासन में सुधार: बिना मोबाइल फोन के, छात्र विद्यालय के नियमों और अनुशासन का पालन करने में अधिक सजग रहते हैं।
- साइबर बुलिंग की रोकथाम: मोबाइल के माध्यम से साइबर बुलिंग और अनावश्यक ऑनलाइन गतिविधियों से बचाव संभव हो पाता है।
चुनौतियाँ
- आपात स्थिति में संपर्क का अभाव: पूर्ण वर्जन के कारण छात्रों के पास आपात स्थिति में अभिभावकों या अन्य लोगों से संपर्क करने का कोई साधन नहीं रहता, जिससे उनकी सुरक्षा चिंताओं का सामना करना पड़ सकता है।
- शैक्षिक साधनों का अभाव: मोबाइल फोन का उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है। मोबाइल पर शैक्षिक ऐप्स और इंटरनेट के माध्यम से छात्रों को अतिरिक्त जानकारी और संसाधन उपलब्ध होते हैं, जो इस नीति के कारण संभव नहीं हो पाते।
- तकनीकी साक्षरता में कमी: जब छात्र स्कूल में मोबाइल का उपयोग नहीं करेंगे, तो वे आधुनिक तकनीक से पिछड़ सकते हैं, जो उनके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
आंशिक रूप से मोबाइल वर्जित नीति
आंशिक रूप से मोबाइल वर्जित नीति के अंतर्गत, छात्रों को कुछ निश्चित समय या शैक्षिक गतिविधियों के दौरान मोबाइल फोन के उपयोग की अनुमति दी जाती है। इस नीति में छात्रों को मोबाइल फोन का उपयोग एक नियंत्रित और अनुशासित ढंग से करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
लाभ
- शैक्षिक उपकरण के रूप में उपयोग: आंशिक रूप से वर्जित नीति के तहत, छात्र मोबाइल फोन का उपयोग शैक्षिक सामग्री को एक्सेस करने, नोट्स बनाने और महत्वपूर्ण जानकारियों को खोजने के लिए कर सकते हैं। इससे उनकी शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
- आपात स्थिति में सुविधा: छात्रों के पास मोबाइल फोन होने से वे किसी भी आपात स्थिति में अपने माता-पिता या शिक्षकों से संपर्क कर सकते हैं, जिससे सुरक्षा की दृष्टि से यह नीति बेहतर है।
- तकनीकी साक्षरता: इस नीति के तहत, छात्र मोबाइल फोन का सही और उत्पादक तरीके से उपयोग करना सीखते हैं, जिससे उनकी तकनीकी साक्षरता में वृद्धि होती है।
- स्वतंत्रता और जिम्मेदारी: छात्रों को मोबाइल फोन के सही उपयोग के लिए स्वतंत्रता दी जाती है, जो उन्हें जिम्मेदार बनाता है। वे सीखते हैं कि कैसे सीमाओं में रहते हुए मोबाइल का उपयोग किया जा सकता है।
चुनौतियाँ
- विकर्षण का खतरा: मोबाइल फोन पर छात्रों का ध्यान भटक सकता है। यदि उन्हें सीमित समय में भी मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, तो वे सोशल मीडिया, गेम्स, या अन्य विकर्षणों में खो सकते हैं।
- निगरानी की आवश्यकता: इस नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए शिक्षकों और स्कूल प्रशासन को मोबाइल उपयोग पर कड़ी निगरानी रखनी होती है। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है, विशेषकर तब जब छात्रों की संख्या अधिक हो।
- अनुशासन का उल्लंघन: आंशिक रूप से वर्जित नीति में अनुशासन बनाए रखना कठिन हो सकता है, क्योंकि छात्र मोबाइल का दुरुपयोग करने की कोशिश कर सकते हैं।
- समान अवसर की कमी: आंशिक मोबाइल अनुमति नीति के तहत, जिन छात्रों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, वे शैक्षिक सुविधाओं से वंचित रह सकते हैं, जिससे समान अवसर की कमी हो सकती है।
निष्कर्ष
दोनों नीतियों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं। पूर्णतः मोबाइल वर्जित नीति, अनुशासन और ध्यान केंद्रित करने में सहायक है, लेकिन तकनीकी साक्षरता और शैक्षिक संसाधनों की कमी के मामले में इसे चुनौतीपूर्ण माना जा सकता है। वहीं, आंशिक रूप से मोबाइल वर्जित नीति तकनीकी साक्षरता को बढ़ावा देती है और शैक्षिक उपयोग की संभावनाओं को बनाए रखती है, लेकिन इसके साथ अनुशासन और विकर्षण की चुनौतियाँ जुड़ी रहती हैं।
एक प्रभावी नीति के लिए यह जरूरी है कि विद्यालय प्रशासन छात्रों की जरूरतों और समाज की मांगों के आधार पर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाए। तकनीकी साक्षरता और अनुशासन के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है, ताकि छात्र आधुनिक युग की जरूरतों के अनुसार शिक्षा प्राप्त कर सकें और साथ ही उनकी पढ़ाई और मानसिक विकास पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।