21वीं शताब्दी इंटरनेट और वेब मीड‍िया के युग की शताब्दी है: पंकज स्वामी

social media life lectures

जबलपुर के चंचलबाई पटेल महिला महाविद्यालय के हिन्दी व मराठी व‍िभाग के संयुक्त तत्वावधान में ‘सोशल मीड‍िया और युवा वर्ग’ विषय पर केन्द्र‍ित व्याख्यान में एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के जनसम्पर्क अध‍िकारी पंकज स्वामी ने कहा क‍ि 21वीं शताब्दी इंटरनेट और वेब मीड‍िया के युग की शताब्दी है। संप्रेषण के ऐसे नए तरीके और नए माध्यम  सामने आए हैं, जो पूरी तरह हमारे जीवन का हिस्सा बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि लोगों को और व‍िभ‍िन्न स्थानों को जोड़ने वाला सोशल मीड‍िया ऐसा ही एक माध्यम है, जिसे हमने जीवन के अटूट ह‍िस्से के रूप में अपनाया है। यह हमारे जीवन के कई पहलुओं को तय कर रहा है। यह व्याख्यान चंचलबाई पटेल महिला महाविद्यालय की प्राचार्य श्रीमती वंदना यादव के न‍िर्देशन एवं डॉ सार‍िका ठोसर के संयोजन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य श्रीमती वंदना यादव ने की।

पंकज स्वामी ने कहा क‍ि सोशल नेटवर्क‍िंग दुनिया भर में इंटरनेट पर होने वाली नंबर वन गत‍िव‍िध‍ि है। सोशल साइट्स के प्रयोक्ताओं की दीवानगी इसी से समझी जा सकती है क‍ि औसतन प्रत‍िमाह वे फेसबुक पर 405 म‍िनट, प‍िंटररेस्ट पर 89 म‍िनट, ट्वि‍टर पर 21 म‍िनट, ल‍िंक्डइन पर 17 म‍िनट व गूगल प्लस पर 3 म‍िनट व्यय करते हैं।

पंकज स्वामी कहा क‍ि इसमें कोई दो राय नहीं क‍ि 21 वीं शताब्दी के दोनों दशकों में फेसबुक व ट्व‍िटर सामाजिक आंदोलन के सशक्त हथ‍ियार के रूप में उभरे हैं। इक्कीसवीं सदी के नए दौर में दुन‍िया दुनिया के के जिस-जिस कोने में आंदोलन हुए या राजनीतिक बदलाव हुए, उसमें सोशल मीड‍िया के जर‍िए सूचनाओं व व‍िचारों के त्वरित प्रसार और लोगों को एकजुट करने के लिए सशक्त माध्यम साब‍ित हुए।

पंकज स्वामी ने कहा क‍ि सोशल नेटवर्क‍िंग साइट्स आज एक स्टेट्स स‍िंबल का प्रतीक बन चुका है, जिनकी अच्छाईयां हैं और बुराई भी। यह लोगों पर न‍िर्भर करता है क‍ि वे सोशल मीड‍िया से क्या अपेक्षा रखते हैं। कोई भी माध्यम अच्छा या बुरा नहीं होता, बल्क‍ि इसका प्रयोग करने वाले इसे अच्छा या बुरा बनाते हैं और यही बात सोशल मीड‍िया पर लागू होती है।

उन्होंने व्याख्यान में मीड‍िया साइट्स, मेसेजिंग या कॉल सर्विस, स्काइप, गूगल, ज़ूम से लाइव बातचीत, कई तरह की ईमेल सर्विसेस, न्यूज से जुड़ी साइट्स पर ऐक्सेस, आभासी खेल दुनिया और आभासी सामाजिक दुनिया पर विस्तार से वि‍द्यार्थ‍ियों को जानकारी दी और संवाद किया।

व्याख्यान कार्यक्रम के व‍िषय का प्रत‍िपादन डा. सारिका ठोसर ने किया। इस अवसर महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ साधना मंडलोई, डॉ आद्या त्र‍िवेदी, डॉ जितेन्द्र दरेकर, डॉ रीझन झार‍िया, सुश्री प्रतीक्षा श्रीवास्तव, मोहम्मद आस‍िफ, सौरभ तिवारी एवं महाविद्यालय की छात्राएं उपस्थि‍त‍ थीं। कार्यक्रम का संचालन डॉ संजुल शर्मा एवं आभार डॉ वंदना दुबे ने किया।