आँवला धातुवर्धक श्रेष्ठ रसायन द्रव्य है। इसके नित्य सेवन से शरीर में तेज, ओज, शक्ति, स्फूर्ति तथा वीर्य की वृद्धि होती है। यह टूटी हुई अस्थियों को जोडऩे में सहायक है तथा दाँतों को मजबूती प्रदान करता है। आँवले के सेवन से आयु, स्मृति व बल बढ़ता है। ह्रदय एवं मस्तिष्क को शक्ति मिलती है। बालों की जड़ें मजबूत होकर बाल काले होते हैं। आँवले के सेवन से त्वचा का रंग निखार आता है व कांति बढ़ती है। ताजे आँवले के रस में नारंगी के रस की अपेक्षा 20 गुना अधिक विटामिन ‘सी’ होता है। हृदय की तीव्र गति अथवा दुर्बलता, रक्त-संचार में रुकावट आदि विकारों में आँवले के सेवन से लाभ होता है। आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि आँवला अमृत फल है, इसके सेवन के अनगिनत लाभ हैं। वर्षभर किसी न किसी रूप में आँवले का सेवन अवश्य करना चाहिए। यह वर्षभर निरोगता व स्वास्थ्य प्रदान करनेवाली दिव्य औषधि है।
आँवला को आयुर्वेद में अमृतफल या धात्रीफल कहा गया है। वैदिक काल से ही आंवला का प्रयोग औषधि के रूप में किया जा रहा है। चरक संहिता में आयु बढ़ाने, बुखार कम करने, खांसी ठीक करने और कुष्ठ रोग का नाश करने वाली औषधि के लिए अमला का उल्लेख मिलता है। इसी तरह सुश्रुत संहिता में आँवला के औषधीय गुणों के बारे में बताया गया है। इसे अधोभागहर संशमन औषधि बताया गया है, इसका मतलब है कि आंवला वह औषधि है, जो शरीर के दोष को मल के द्वारा बाहर निकालने में मदद करता है। पाचन संबंधित रोगों और पीलिया के लिए आंवला का उपयोग किया जाता है।
आँवला के प्रयोग से अनगिनत फायदे होते हैं। आंवला खून को साफ करता है, दस्त, मधुमेह, जलन की परेशानी में लाभ पहुंचाता है। इसके साथ ही यह जॉन्डिस, हाइपर-एसिडिटी, एनीमिया, रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहने की समस्या), वात-पित्त के साथ-साथ बवासीर या हेमोराइड में भी फायदेमंद होता है। यह मल त्याग करने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। यह सांसों की बीमारी, खांसी और कफ संबंधी रोगों से राहत दिलाने में सहायता करता है। अमला आंखों की रोशनी को भी बेहतर करता है। अम्लीय गुण होने के कारण यह गठिया में भी लाभ पहुंचाता है।
सामान्यतः आँवला का प्रयोग करने से किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है, लेकिन इसकी तासीर शीत होने के कारण सर्दी में इसका फल रूप में प्रयोग करने से बचना चाहिए। आमतौर पर आप आँवले का सेवन कई तरह से कर सकते हैं। आँवले का कच्चा फल, आमला जूस, आमला चूर्ण, आमला कैंडी या आँवले का मुरब्बा बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है। यहां यह बात ध्यान रखिये कि बहुत अधिक मात्रा में आँवले का सेवन करने से नुकसान हो सकते हैं।