एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी की केन्द्रीय क्रीड़ा एवं कला परिषद के तत्वावधान में राष्ट्रीय खेल दिवस के पूर्व दिवस पर हॉकी जादूगर मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा अनावरण समारोह का आयोजन आज 28 अगस्त को दोपहर 12.00 बजे किया गया है। परिषद के रामपुर स्थित मशाल परिसर में प्रतिमा का अनावरण मेजर ध्यानचंद के पुत्र ओलंपियन अशोक कुमार करेंगे एवं समारोह के विशिष्ट अतिथि एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य महाप्रबंधक मानव संसाधन व प्रशासन एवं केन्द्रीय क्रीड़ा एवं कला परिषद के महासचिव राजीव गुप्ता होंगे। मेजर ध्यानचंद की मध्यप्रदेश में स्थापित होने वाली यह प्रथम प्रतिमा है।
उल्लेखनीय है कि 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद का 119 वां जन्मदिवस है और उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप मनाया जाता है। प्रतिमा को शासकीय ललित कला निकेतन महाविद्यालय के निदेशक डा. मनीष कोष्टा ने बनाया है। रेज़िन मटेरियल से बनाई गई मेजर ध्यानचंद की आवक्ष (बस्ट) प्रतिमा की ऊंचाई तीन फुट व वजन लगभग ढाई से तीन क्विंटल है। प्रतिमा के निर्माण में मूर्तिकार डा. मनीष कोष्टा ने हॉकी के जादूगर के खेल, उनके व्यक्तित्व व गरिमा का पूरा ध्यान रखा है। पूर्व में जनवरी-फरवरी 1975 में मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल के आमंत्रण पर ध्यानचंद अखिल भारतीय विद्युत क्रीड़ा नियंत्रण मण्डल हॉकी प्रतियोगिता का उद्घाटन करने अंतिम बार जबलपुर आए थे। उस समय उन्हें पचपेढ़ी में विश्वविद्यालय के सामने विद्युत मण्डल के ब्लेग डान रेस्ट हाउस में रूकवाया गया था।
हॉकी के जादूगर के गहरा संबंध है जबलपुर से-हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का जबलपुर से गहरा संबंध है। ध्यानचंद का बचपन जबलपुर में बीता था। ध्यानचंद के पिता रामेश्वर सिंह पहली ब्राम्हण रेजीमेंट में सूबेदार थे। यह रेजीमेंट उन दिनों इलाहाबाद में तैनात थी। बाद में यह रेजीमेंट जबलपुर में स्थानांतरित की गई। रेजीमेंट के साथ रामेश्वर सिंह जबलपुर आ गए। ध्यानचंद जब सिर्फ चार वर्ष के बच्चे थे, तब वे पहली बार अपने पिता के बड़े भाई के पास जबलपुर आए थे। छोटे भाई रूप सिंह का जन्म 1908 में जबलपुर में ही हुआ। ध्यानचंद के अंतर्राष्ट्रीय हॉकी के प्रारंभिक साथियों में जबलपुर के रेक्स नॉरिस और माइकल रॉक थे। दोनों खिलाड़ियों ने एम्सटर्डम (हॉलैंड) में सन् 1928 में ओलंपिक हॉकी टीम के साथ यात्रा की थी और यह टीम ओलंपिक विजेता बनी। ध्यानचंद का जबलपुर से उस समय गहरा संबंध बना जब उनकी बहिन सुरजा देवी का विवाह 1940 में जबलपुर के किशोर सिंह चौहान से हुआ। किशोर सिंह चौहान राइट टाउन में हवाघर नाम के प्रसिद्ध मकान में रहते थे।
मेजर ध्यानचंद की जबलपुर यात्राएं-ध्यानचंद की एक पुरानी यात्रा 16 मार्च 1953 को हुई थी। उस समय जबलपुर जिला हॉकी एसोसिएशन के तत्वावधान में नागरिकों पुलिस मैदान में तत्कालीन महापौर भवानीप्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में ध्यानचंद का नागरिक सम्मान किया गया था। इसके बाद ध्यानचंद जून 1964 में जबलपुर में महिला हॉकी टीम को प्रशिक्षण देने आए। ध्यानचंद के पुत्र राजकुमार का विवाह जबलपुर में जीके सिंह के परिवार में हुआ था। जनवरी-फरवरी 1975 में मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल के आमंत्रण पर ध्यानचंद अखिल भारतीय विद्युत क्रीड़ा नियंत्रण मण्डल हॉकी प्रतियोगिता का उद्घाटन करने अंतिम बार जबलपुर आए थे। उस समय उन्हें पचपेढ़ी में विश्वविद्यालय के सामने विद्युत मण्डल के ब्लेग डान रेस्ट हाउस में रूकवाया गया था।