विख्यात कथाकार ज्ञानरंजन ने कहा कि कथाकार पंकज स्वामी वस्तु की प्रमाणिकता के लिए तथ्यात्मक विवरण में जाते हैं, जो उन्हें धीरे-धीरे कम करना होगा। उन्हें कठोर शिल्प की ओर अग्रसर होना होगा। पंकज स्वामी ने कहानीकार के रूप में अदृश्य माफिया को खोज लिया है। उनकी कहानियों में जीवन की रोशनी है। वे पहल के तत्वावधान में रानी दुर्गावती कला वीथिका में कथाकार पंकज स्वामी के कहानी संग्रह पारसी धर्मशाला पर केन्द्रित चर्चा व विमर्श गोष्ठी में बोल रहे थे।
वरिष्ठ कथाकार राजेन्द्र दानी ने कहा कि कथाकार के रूप में पंकज स्वामी का अवलोकन महीन है और वे विषय का पीछा गुप्तचर की तरह करते हैं। पंकज स्वामी सृजनात्मक के लिए कई चीजों को बटोर लेते हैं। उनके कहानी के विषय चुनिंदा व मौलिक है। उनकी कहानी ‘भिखारी का परचम’ में राजनैतिक चेतना का घनत्व बढ़ गया है। वरिष्ठ समीक्षक डॉ अरूण कुमार ने कहा कि पंकज स्वामी की कहानियां मनुष्य के विवेक पर भरोसा जताती हैं। उनकी कहानियों के पात्र निकट के हैं। व्यक्ति लगातार देखते रहने से निकट के लोगों को देख नहीं पाता है, लेकिन उनको जानना पहचाना जरूरी है। पंकज स्वामी ठोस तैयारी के साथ कहानी लेखन में आए हैं, इसलिए उनका स्वागत करना चाहिए।
वरिष्ठ कवि व आलोचक राजीव कुमार शुक्ल ने कहा कि पंकज स्वामी ने कहानीकार के रूप में अतीत में जा कर वर्तमान को दुबारा रचते हैं। उनकी कहानियों में जबलपुर कई बार प्रगट होता है। पंकज स्वामी की विशिष्टता है कि उनकी कहानियां जड़ता से गति की ओर जाती हैं। वरिष्ठ कवि व समीक्षक तरूण गुहा नियोगी ने कहा कि पंकज स्वामी के संग्रह की सभी कहानियों में व्यक्ति संघर्ष के लिए तैयार दिखता है। उनकी कहानी ‘मेन्टली रिटारडेड’ समावेशी संवेदना को जगाने वाली है और ऐसी कहानी हिन्दी साहित्य में गिनी चुनी है। कार्यक्रम में कथाकार पंकज स्वामी ने कहानी संग्रह की कहानी ‘भिखारी का परचम’ के कुछ अंशों का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन कवि विवेक चतुर्वेदी ने और आभार प्रदर्शन मनोहर बिल्लौरे ने व्यक्त किया।