Sunday, May 12, 2024
Homeवेब स्टोरीइतिहासइतिहास के पन्नों में 1 मार्चः अमेरिका ने किया हाईड्रोजन बम का...

इतिहास के पन्नों में 1 मार्चः अमेरिका ने किया हाईड्रोजन बम का सफल परीक्षण, विस्फोट से कांपी मानवता

देश-दुनिया के इतिहास में 1 मार्च की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है। यह ऐसी तारीख है जिसने अमेरिकी में हुए विस्फोट से मानवता को कंपा दिया था। दरअसल 1 मार्च, 1952 को अमेरिका ने हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया था। इसे मानव इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा और भयंकर विस्फोट माना जाता है। इसकी शक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह हिरोशिमा और नागासाकी को नष्ट करने वाले परमाणु बम से हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली था। इसकी वजह से दुनिया को बहुत नुकसान हुआ। ऐसा भी कहा जाता है कि यह हाइड्रोजन बम संपूर्ण पृथ्वी से जीवन को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। यहां तक कि इसके हमले के बाद स्वयं अमेरिका को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि फिर ऐसे विध्वंसकारी हथियार के निर्माण का औचित्य क्या हो सकता है?

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसका परीक्षण प्रशांत क्षेत्र स्थित मार्शल द्वीपों के बिकिनी द्वीप समूह के बीच किया था। तब अमेरिका को एहसास नहीं था कि उसका यह प्रयोग इतना शक्तिशाली अथवा घातक हो सकता है, क्योंकि परीक्षण के बाद उस पूरे क्षेत्र से जीवन पूरी तरह से समाप्त हो गया था। अमेरिका ने इसकी टेस्टिंग को ‘माइक शॉट’ का नाम दिया था। इस हाइड्रोजन बम को बनाने का पीछे अमेरिका का मुख्य लक्ष्य दुनिया को अपनी ताकत दिखाना था।

वैज्ञानिक भाषा में इस तरह के बम को थर्मोन्यूक्लियर बम या एच-बम कहते हैं। इस हाइड्रोजन बम को बनाने का श्रेय एनरिको फर्मी को जाता है। इसके निर्माण में ट्रिटियम और ड्यूटेरियम का इस्तेमाल किया गया। यह हाइड्रोजन बम आइसोटोप के जुड़ने के सिद्धांत पर कार्य करता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी सिद्धांत पर सूर्य की शक्ति बरकरार रहती है। इस हाइड्रोजन बम के तीन प्रमुख चरण होते हैं। इसके धमाके से उत्पन्न ऊर्जा सूर्य से उत्पन्न ऊर्जा के समान होती है। इस पर दृष्टि पड़ने मात्र से व्यक्ति अपनी आंखों की रोशनी पूरी तरह से खो सकता है। इसके धमाके से उत्पन्न शॉक वेव्स किसी भी मजबूत से मजबूत चीज को भी नष्ट कर सकती है। इसका परिणाम कितना भयावह हो सकता है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1896: वैज्ञानिक ऑनरी बेकेरल के एक प्रयोग के कारण रेडियोधर्मिता क्या होती है, इसका पहली बार पता चला।

1954: अमेरिका ने प्रशांत क्षेत्र में स्थित मार्शल द्वीपों के बिकिनी द्वीपसमूह में सबसे बड़ा विस्फोट किया। ये माना जाता है कि वह हाइड्रोजन बम हिरोशिमा को नष्ट करने वाले परमाणु बम से भी हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली था।

1996ः विद्युत उत्पादन के लिए थर्मो न्यूस्लियर रिएक्टर स्थापित करने के उद्देश्य से भारत, रूस, चीन और ईरान एशियन फाउंडेशन फॉर थर्मोन्यूक्लियर स्टडीज नामक संस्थान स्थापित करने पर सहमत।

1999ः मानव संहारक बारूदी सुरंग (एंटी पर्सेनिबल माइन्स) के उत्पादन और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि (ओटावा संधि) लागू।

2000ः मोहम्मद अहमद अल गयूम के स्थान पर मुबारक अल शामेख लीबिया के नए प्रधानमंत्री नियुक्त।

2001ः लश्कर-ए-तैयबा सहित 21 आतंकवादी संगठनों पर ब्रिटेन में प्रतिबंध।

2003: पाकिस्तान ने अल-कायदा आतंकी खालिद शेख मोहम्मद को गिरफ्तार किया। इसी ने अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकी हमले की साजिश रची थी।

2004ः हैती के राष्ट्रपति ज्यों बर्तरा एसिस्तदे देश छोड़कर दक्षिण अफ्रीका भागे।

2005ः सोयूज-यू रॉकेट कजाकिस्तान के बैकानूर अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित।

2006ः अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश राजकीय यात्रा पर भारत पहुंचे।

2007ः अमूल्य नाथ शर्मा नेपाल के प्रथम बिशप बने।

2008ः आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड ने न्यूयार्क में अपनी शाखा खोली।

2008ः वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर बहते हुए पानी की मौजूदगी का कोई सुबूत नहीं मिलने का दावा किया।

2010ः भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सऊदी अरब यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि समेत व्यापार, विज्ञान-तकनीक, संस्कृति आदि क्षेत्रों में दस समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।

2010ः हॉकी विश्व कप के पहले मैच में भारत ने पाकिस्तान को 4-1 से हराया।

जन्म

1934ः बांग्ला भाषा के साहित्यकार अतीन बंद्योपाध्याय।

1917ः पंजाबी, हिंदी और उर्दू भाषा के समर्थ साहित्यकार।

1944ः मणिपुर की हस्तशिल्पी पद्मश्री लौरेम्बम बिनो देवी।

1944ः पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य।

1951ः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार।

1967ः भाजपा नेत्री निरंजन ज्योति।

1983ः भारतीय मुक्केबाज मैरी कॉम।

1994: कनाडाई सिंगर जस्टिन बीबर।

निधन

1914ः भारत के पूर्व गवर्नर जनरल लॉर्ड मिंटो (द्वितीय) ।

1979ः स्वतंत्रता सेनानी जयरामदास दौलतराम।

1988ः हिन्दी के प्रसिद्ध कवि सोहन लाल द्विवेदी।

1989ः कांग्रेस नेता वसंतदादा पाटिल।

2014ः भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण।

संबंधित समाचार