दिव्यांग प्रतिभाओं के मंचीय प्रोत्साहन के लिए मप्र साहित्य अकादमी का अभिनव प्रयास

साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास दवे ने बताया कि दिव्यांगों के जीवन, उनके सुख-दुःख, सरोकारों और सामान्यजन के बीच एक खाई सी बनी हुई है। साहित्य और कलाएँ इस अंतर को पाटने का काम कर सकतीं हैं। इसी उद्देश्य को लेकर मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा दिव्यांग विमर्श, संचेतना और दिव्यांग प्रतिभाओं की मंचीय प्रस्तुति का विशिष्ट आयोजन – “हारा वही जो लड़ा नहीं” 15 फ़रवरी को शाम 5:30 बजे से जनजातीय संग्रहालय भोपाल में किया जाएगा। इसमें देश के साहित्य की सबसे बड़ी ऑनलाइन लाइब्रेरी कविता कोष और गद्य कोष की स्थापना करने वाले श्री ललित कुमार, सुप्रसिद्ध स्टैंड अप कॉमेडियन एवं मिमिक्री आर्टिस्ट श्री अभय कुमार शर्मा भाग लेंगे। साथ ही नेत्र बाधित कवियों का कवि सम्मेलन भी होगा।

डॉ विकास दवे ने बताया कि दिव्यांग विमर्श की ज़रुरत और संभावनाओं के साथ दिव्यांगों को आधुनिक सूचना क्रांति और तकनीकी खोजों का त्वरित लाभ मिलने के विषयक सत्रों को श्री ललित कुमार सम्बोधित करेंगे। उनके साथ दिव्यांग संचेतना के लिए लम्बे समय से समर्पित संस्कृतिकर्मी श्री आलोक बाजपेयी चर्चा करेंगे। “हारा वही जो लड़ा नहीं” के अगले सत्र में जाने-माने स्टैंड अप कॉमेडियन श्री अभय कुमार शर्मा हास्य के सागर में गोते लगवाएँगे। वाराणसी के नेत्र बाधित कलाकार ने अपनी तमाम शारीरिक दिक्कतों के बाद भी कॉमेडी जगत में अपना स्थान बनाया है।

कई रिएलिटी शो में नज़र आ चुके श्री अभय कुमार अपनी विशिष्ट प्रतिभा से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी प्रभावित कर चुके हैं। अंतिम सत्र में नेत्र बाधित कवियों का सम्मेलन होगा, जिसमें डॉ मनीष चौधरी (इंदौर), ऋषि राज (सीहोर), राधेश्याम पानवरिया (रायसेन) एवं पीयूष गुप्ता (भोपाल) रचना पाठ करेंगे। डॉ दवे ने बताया कि साहित्य अकादमी दिव्यांग विमर्श पर केंद्रित आयोजन करने वाली पहली अकादमी है। यह एक अनूठा आयोजन होगा, जिसमें दिव्यांग विमर्श पर चर्चा भी करेंगे और प्रस्तुति भी वे ही देंगे। इसके साक्षी बनने से हमारी दिव्यांग संचेतना का विस्तार निश्चित है। विमर्श में दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क रहेगा।