जबलपुर (लोकराग)। राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक पत्रिका ‘परिकथा’ ने नगर के कथाकार पंकज स्वामी को इक्कीसवीं सदी के महत्वपूर्ण कथाकारों में शामिल किया है। साहित्यिक पत्रिका ने देश भर के चुनिंदा 24 हिन्दी कथाकारों को इस महत्वपूर्ण कथाकारों की सूची में शामिल किया है।
पंकज स्वामी के कथा संसार पर प्रतिष्ठित आलोचक-विचारक डॉ. निशा तिवारी ने लिखा है कि पंकज स्वामी यथार्थवादी कथाकार हैं। उनकी कहानियों में कल्पनाशीलता की रंगीन उड़ान नहीं है। वे बिम्बों-प्रतीकों की गहन गुफा में प्रवेश नहीं करते बल्कि नर्मदा नदी की शीतल सरल प्रवाह में तरंगायित होते रहते हैं। पंकज स्वामी अपनी कहानियों में यथार्थ की ठोस चट्टान पर खड़े हो कर चारों ओर के स्थानीय परिदृश्यों की गहन अनुभूति करते हैं। उनका सामान्य ज्ञान अत्यंत गंभीर है अत: उनकी सम्वेदनाएं भी ज्ञानात्मक से सम्पृक्त हो कर सामने आती हैं।
‘परिकथा’ ने महत्वपूर्ण कथाकारों की सूची जारी करते हुए वक्तव्य दिया है कि कथाकारों ने मनुष्यता के मूल्यों को शक्ति देने वाला लेखन किया है और कथाकारों का लेखन समाज, यथार्थोन्मुखता और अंतर्वस्तु की चिंता से निकला लेखन है।
पत्रिका ने स्पष्टत: ऐसे कथाकारों के बारे में कहा है कि उन्होंने आत्म प्रचार या आत्मविज्ञापन की सोच से दूर रह कर सम्पर्क-सम्बन्ध साधने की कोई कवायद नहीं की है। कथाकारों ने अपनी कहानियों के चर्चा में होने, न होने की बहुत फ़िक्र नहीं की, बस चुपचाप लिखा और महत्वपूर्ण व सार्थक लिखा। परिकथा ने पंकज स्वामी सहित अन्य कथाकारों को इस दौर की हासिल और सम्पदा है।