Saturday, October 19, 2024
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लेट्स इंस्पायर बिहार: उद्यमिता जगत की एक उभरती शख्सियत आकृति वर्मा से स्नेहा किरण की एक ख़ास मुलाकात

बिहार के अररिया की लोकप्रिय लेखिका, पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहा किरण के द्वारा बिहार के उद्यमिता जगत में अपनी एक अलग छाप छोड़ने वाली महिला उद्यमी आकृति वर्मा का एक औपचारिक साक्षात्कार लिया गया  है, यहां उसी साक्षात्कार के कुछ अंश प्रस्तुत है, जिससे बिहार की महिलाएं इस क्षेत्र में आने के लिए निश्चय ही प्रेरित होंगी।

आकृति वर्मा

स्नेहा- नमस्कार आकृति जी, सबसे पहले तो आपको एक सफल युवा उधमी के तौर पर महिलाओं को इस क्षेत्र में प्रेरित करने के लिए बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं।

आकृति – धन्यवाद स्नेहा जी ।

स्नेहा- आकृति जी सबसे पहले तो आप अपने बारे में शुरुआत से बताए की आपकी शिक्षा-दीक्षा कहाँ-कहाँ हुई?

आकृति- मेरा जन्म पटना (बिहार) में हुआ। मेरे पिता डॉ अतुल कुमार वर्मा आर्ट, कल्चर &  यूथ डिपार्टमेंट से निदेशक के पद पर रहते हुए सेवानिवृत्त हुए। मेरी माँ कृति वर्मा एक होममेकर थी, जिनका इंतकाल 2019 में हो गया। मेरी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई पटना के माउंट कार्मेल स्कूल से हुई। स्नातक मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय से किया और फिर MBA की पढ़ाई सिंगापुर से की।

स्नेहा- आकृति आप ख़ुद इतनी खूबसूरत है, युवा है और उम्र के उस दौर में है जहाँ एक महिला के तौर पर अमूमन फैशन और ब्यूटी वर्ल्ड का हिस्सा बनना युवतियों की पहली पसंद होती है, बावजूद इसके आपने वॉल पुट्टी जैसे पुरुषों  के वर्चस्व वाले क्षेत्र में ही अपनी पहचान बनाने की क्यों सोंची? मुझे तो लगता है की इस क्षेत्र में शायद ही किसी महिला से आपका परिचय हुआ हो? आपको इसकी वास्तविक प्रेरणा कैसे मिली?

आकृति- (हँसती है ) आपने एकदम सही कहा स्नेहा। इस क्षेत्र में मुझे आज तक किसी महिला से कोई मुलाकात नहीं हुई। ख़ासकर मेरे गृह राज्य बिहार में जहां इसे एक हिकारत के तौर पर ही देखा जाता है और प्रायः यही समझा जाता है की ये लड़की क्या करेगी इस फील्ड में? लेकिन स्नेहा जब मैं बाहर पढ़ने गई और विदेशों में घूमने जाती तो ऊंची-ऊंची बड़ी व बेहद खूबसूरत इमारतें देखती तो मेरे अंदर एक ख़्वाब खुद-ब-ख़ुद हिलोरें मारने लगता की मुझे भी एक दिन इन खूबसूरत इमारतों के निर्माण में अपना योगदान देना है फिर चाहे जैसे हो। मुझे हमेशा से यही करना था और मुझे लगता है की इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी है। मेरे चाचा बिल्डर थे, तो उनसे भी मैं काफी हद तक प्रेरित हुई। 

स्नेहा- आकृति आप भी बिहार से है और मैं भी बिहार से हूँ, बिहार के लोगो में क्षमता और प्रतिभा का स्तर ऊंचा होने के बावजूद भी यह आज तक पिछड़े राज्य की गिनती में आता है। ख़ासकर आज जब हम सबने आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा बनने का संकल्प लिया है और लोकल से ग्लोबल तक जाने के लिए एक ख़ास विज़न के साथ शुरुआत की है। सस्ती कीमतों पर कई विश्व स्तरीय उत्पाद प्रदान करने के लिए कई भारतीय ब्रांड आगे आये है। स्टार्टअप और केंद्र सरकार की कई सारी योजनाएं ऐसी है जो उधमिता जगत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है या यूँ कहिये की अभी स्टार्टअप का स्वर्णिम युग चल रहा है और खासकर बिहार में निवेश करने का बेहद अनुकूल वक़्त चल रहा है। समय के इस दौर में आप वॉल-पुट्टी मैन्युफैक्चरिंग के इस फील्ड में क्या-क्या अभिनव प्रयोग करने की ख्वाहिश रखती है?

आकृति- बिल्कुल स्नेहा मैं आत्मनिर्भर भारत के इस दौर में AKV वॉल पुट्टी के माध्यम से न केवल बिहार बल्कि  देश भर में खूबसूरत इमारतों के निर्माण में अपना योगदान देना चाहती हूँ। 26 वर्ष की उम्र में ही मैंने यह तय कर लिया था की मुझे नौकरी करनी नहीं नौकरी देनी है। यही वजह रही की मैंने MBA करने के बाद विदेशों में कई जॉब पैकेज को ठुकरा कर बिहार में स्वरोजगार के माध्यम से AKV (आकृति वर्मा) वॉल पुट्टी की शुरुआत की और अपनी बचत के पैसों से लगभग 50 लाख का निवेश कर फैक्टरी खोली। हालांकि मेरा सपना व्हाइट सीमेंट की फैक्टरी खोलने का था, पर इसकी मोनोपॉली भारत मे काफ़ी बड़े-बड़े फार्म के पास थी, इसलिए इसमें कम्पीट करना मुझे बहुत मुश्किल लगा और साथ ही इसके लिए एक बहुत बड़ी धनराशि चाहिये थी जिसका मेरे पास अभाव था। फिर मैंने वॉल पुट्टी मैन्युफैक्चरिंग की सोची और यह निर्णय लिया की इसका एक अनुभव लिया जाए। मैंने काफी कुछ रिसर्च किया लाइसेंस, पैकेज आदि के बारे में क्योंकि मुझे इसका कोई आईडिया नहीं था। शुरुआत में मैंने प्रोडक्ट का मूल्य भी मार्केट प्राइस से काफ़ी कम रखा ताकि बिज़नेस जमे। राजस्थान और मध्यप्रदेश से कच्चे माल को मंगवाकर नए स्टाफ टीम के साथ काम शुरू किया। इस दौरान मुझे कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, ख़ासकर कोविड-19 के दौरान जब लॉकडाउन लगा और काम बंद हो गया उस वक़्त मैंने अपनी सेविंग से सारे स्टाफ को पैसे दिए। उसी वक़्त मेरी माँ का इंतकाल हो गया जो मेरे लिए किसी बड़े तूफान से कम नहीं रहा। भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण मुझे घर की जिम्मेदारी भी लेनी पड़ी। मुझे हर हाल में आर्थिक स्वतंत्रता चाहिए थी, क्योंकि एक महिला के तौर पर यह आपको मजबूत व आत्मविश्वासी बनाता है। लगभग तीन साल के छोटे से अंतराल में ही मैंने वॉल पुट्टी के क्षेत्र में कई प्रयोगों के साथ युवा उधमी का पुरस्कार जीत लिया। आगे पेंट, सीमेंट बेस्ड वॉल पुट्टी और व्हाइट सीमेंट कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में मुझे अपना एक ब्रांड बनाना है और अपने इस जुनून को आगे लेकर जाना है।

स्नेहा-  आकृति मैं फिलवक्त महिला सशक्तिकरण को समर्पित एक स्वंयसेवी संस्था स्नेहा फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर काम कर रही हूँ। आप वैसी महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी जो आकृति वर्मा बनना चाहती है और उधमिता के क्षेत्र में आपकी तरह सफलता हासिल करना चाहती है?

आकृति- धन्यवाद स्नेहा पर मैं यही कहूँगी की किसी की तरह बनना नहीं है। आप अपनी तरह बनिये। खुद को व्यस्त रखिये। खुद को हर स्तर पर मजबूती के साथ टिकाये रखिये। राह की चुनौतियों से कभी भी हार मत मानिए। अपने जुनून के पीछे भागिए। रातों रात कोई भी करोड़पति नही बन सकता। आपको लगातार मेहनत करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कल आज से हर हाल में बेहतर होगा ही। बिहार में अवसर की कमी नहीं है। समय का सही उपयोग करे व हर हाल में आर्थिक तौर पर मजबूत बने। अपने आप से लड़िये जमाने से नहीं और ख़ुद को उच्चतम स्तर पर लेकर जाए। परिवार को भी अपने काम मे शामिल करें आपको भी सहयोग मिलेगा।

स्नेहा- आकृति पिछले वर्ष दिनांक 22 मार्च को बिहार दिवस के दिन पूरे बिहार भर में बिहार सरकार के विशेष सचिव व आईजी विकास वैभव के द्वारा लेट्स इंस्पायर बिहार मुहिम शुरू की गई थी। जिसमें समाज के हर तबके के लोगों को शामिल करने का उद्देश्य रखा गया है, खासकर युवा वर्ग को सबसे ज्यादा। क्योंकि युवावर्ग में असीम शक्ति समाहित है। जरूरत है तो बस उसे सही दिशा देने की।उधमिता, शिक्षा और समानता को लेकर यह अभियान शुरु किया गया है। इस बारे में आपका क्या कहना है?

आकृति- बिल्कुल स्नेहा यह एक बहुत अच्छा प्रयास है हर उस बिहारी के लिए जिसके दिल मे बिहार बसता है। हमारे पास हर प्रकार के साधन और संसाधन उपलब्ध है, बावजूद इसके आज भी हमारा राज्य एक पिछड़े राज्य की गिनती में आता है। जो एक बेहद ही दुःखद स्थिति है। समय आ गया है की हम सब युवाओं को बिहार को एक विकसित राज्य बनाने के लिए समता, उधमिता और शिक्षा के क्षेत्र में एक साथ मिलकर काम करना है। 

स्नेहा- आकृति आपके सोचने के तरीके ने और जोख़िम उठाने के साहस ने मुझे भी काफी हद तक प्रेरित किया है। गार्गी और मैत्रयी जैसी महिलाओं की विरासत को संजोए हुए यह वही बिहार है, जहां महिला नेतृत्व हर क्षेत्र में संभव है। आशा है आप उधमिता जगत को नई ऊंचाइयों पर ले जायेगीं। अब एक अंतिम सवाल आप शादी कब कर रही है?

आकृति- (हँसती है) धन्यवाद स्नेहा। कोई आपको कृतज्ञता दिखाए इससे खूबसूरत बात कुछ और नहीं और जहां तक शादी की बात है तो रिश्तेदारों ने भी यह सवाल पूछ-पूछ कर परेशान कर दिया है। पर मुझे लगता है अभी अपने सपनों को और भी उड़ान देना बाकी है। एक महिला के तौर पर मेरा यह मानना है की आपकी आर्थिक स्वतंत्रता और कैरियर आपके विवाह से कहीं अधिक आवश्यक है। फिलवक्त तो मुझे अपने काम से ही इश्क़ है। 

स्नेहा किरण

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