Friday, May 17, 2024
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युवा सामाजिक विकास की धुरी: सुजाता प्रसाद

सुजाता प्रसाद
स्वतंत्र रचनाकार 
शिक्षिका, सनराइज एकेडमी 
नई दिल्ली, भारत 

युवा शक्ति राष्ट्र की अमूल्य संपदा होती है। युवावस्था जीवन का सर्वाधिक श्रेष्ठ समय होता है। किसी देश का भविष्य उस देश के बच्चे होते हैं तो देश की गति युवाओं में निहित होती है। व्यक्ति के जीवन की यह अवस्था, उसके जीवन का ऐसा पड़ाव है, जो ओजस्वी ऊर्जा से ओत-प्रोत होता है, जिसमें स्फूर्ति का संचार होता है, चेतना का प्रकाश होता है और प्रज्ञा का साथ होता है। सचमुच युवाओं में कल्पनाओं को आकार देने की अद्भुत क्षमता होती है।

युवा अपने समाज और देश की जैसी चाहे वैसी तस्वीर बना सकते हैं। यह भी एक बुनियादी सच है कि एक युवा अपने समाज व देश को वही देता है जो उसने अपने बाल्यकाल और छात्र जीवन में प्राप्त किया होता है। इसलिए अभिभावक व शिक्षक की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होना चाहिए कि बालपन से ही बच्चों के मस्तिष्क का विकास सुविचारों एवं अच्छी शिक्षा के साथ हो।

हम कह सकते हैं कि अभिभावकों का कर्तव्य है अपनी सन्तानों को सही संस्कार देने की और युवाओं के साथ मित्रवत व्यवहार कर समय समय पर उनका सही मार्गदर्शन करने की। समाज का भविष्य युवाओं के कंधों पर निर्भर करता है इसलिए उन कंधों को मजबूत करना बहुत ही आवश्यक है और उसके लिए बचपन से ही उन्हें स्वस्थ और नैतिक वातावरण देना हमारा परम कर्तव्य बनता है।

यह अति चिंतनीय विषय है कि माता पिता को अपने बच्चों की परवरिश केवल अपने वंश को चलाने वाला समझकर नहीं बल्कि देश का भविष्य समझ कर करना चाहिए। जिससे कि देश को एक सुविज्ञ नागरिक मिल सके। शैक्षिक संस्थानों के द्वारा भी विद्यार्थियों की मानसिक मजबूती पर कार्य किए जाने की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

हर पीढ़ी के युवा को अपने समय की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वर्तमान समय में भी युवा वर्ग की कुछ समस्याएं ऐसी हैं जिन पर विचार करने के साथ-साथ ध्यान दिए जाने की भी आवश्यकता है। नशे का सेवन करना, उद्देश्य रहित जीवन शैली, अपने कर्तव्यों से विमुख रहना, सिर्फ व्यक्तिगत सुख सुविधाओं तक ही खुद को सीमित रखना और देश समाज के प्रति उदासीन रवैया रखना इत्यादि ऐसी समस्याएं हैं जो देश व समाज के लिए बहुत ही घातक हैं।

हमें यह भी सोचना चाहिए कि समाज की मजबूत नींव हम तभी रख सकते हैं, जब हम और हमारे युवा अपने व्यक्तित्व में अच्छे गुणों का समावेश कर सकें। अपने जीवन में सामाजिक और नैतिक मूल्यों को धारण कर सकें। इसके लिए प्रत्येक युवा को सुनहरे भविष्य और देश की प्रगति में सहयोगी बनने का संकल्प लेना चाहिए। जब प्रत्येक युवा मानसिक दृढ़ता, सकारात्मकता, प्रगतिशील प्रवृत्ति के साथ देश को केंद्र बिंदु मानकर सोद्देश्य अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ेगा तो निश्चित ही देश का उत्थान होगा। युवा ही है जो न केवल आने वाली पीढ़ी का पथप्रदर्शक होता है बल्कि युग प्रवर्तक भी होता है।

यह भी सच है कि आज के युवा अपने करियर के साथ साथ समाज के लिए भी कुछ करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं। गरीबों की शिक्षा, बेटियों को बचाना उन्हें पढ़ाना, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता अभियान, रोजगार सृजन आदि से जुड़ी सामाजिक सेवा करके ये समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का काम करते हैं। इनके इस योगदान से एक बेहतर कल का निर्माण हो पाता है। नि:संदेह समाज के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। युवा भावी समाज का सशक्त स्तंभ होते हैं।

समाज की ऊर्जा, उत्साह और साहस के प्रतीक युवा समाज और राष्ट्र के आने वाले भविष्य का नेतृत्व ही नहीं करते बल्कि ये हमारे समाज के सबसे सशक्त भागीदार भी होते हैं। क्योंकि युवा समाज के महत्वपूर्ण मानव संसाधन होते हैं, इसलिए विभिन्न क्षेत्रों में युवाओं का योगदान महत्वपूर्ण होता है, जैसे शिक्षा, विज्ञान, व्यापार, साहित्य, कला, खेल-कूद, सामाजिक कार्य, राजनीति इत्यादि इत्यादि। युवा हमारे समाज को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार उनके विचार और शब्द समाज के हर व्यक्ति, हर वर्ग को प्रभावित कर सकते हैं।

युवा वर्ग की सोच समय के साथ न सिर्फ बदलती रहती है बल्कि युवा पीढ़ी का उत्साह, जोश और साहस नये विचारों और नवाचारों को संजीवनी भी देता है। जिससे समाज विकास की राह पर अग्रसर होता है। इसलिए एक अच्छे समाज के विकास में युवाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। युवा तो सामाजिक विकास की धुरी हैं, असीम संभावनाओं का पुंज हैं। 

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