प्रयागराज (हि.स.)। रंग चिकित्सा है जिसे हम कलर थेरेपी कहते हैं। सभी उम्र के लोगों को पूरे मन एवं उत्साह से होली में रंग खेलना चाहिए, यह हमारे शरीर में हैप्पी हारमोंस को बढ़ाता है।
यह बातें एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान रेकी सेंटर पर स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने हिन्दुस्थान समाचार प्रतिनिधि से कही। उन्होंने कहा कि इसी समय शीत ऋतु जाता है और ग्रीष्म ऋतु शुरू होता है। जब ज्यादा ठंड पड़ती है तो बहुत से कीटाणु उसमें नष्ट हो जाते हैं और कुछ निष्क्रिय हो जाते हैं। इस मौसम में निष्क्रिय पड़े कीटाणुओं में पुनः बढ़ने का अनुकूल वातावरण होता है। बहुत से लोग होली के त्योहार से परहेज करते हैं रंगों के नाम से घबरा जाते हैं। उन्हें अच्छी भावना के साथ होली जरूर खेलनी चाहिए। इसके बहुत से फायदे हैं।
सतीश राय ने बताया कि जाड़े में हमारे शरीर के रोम छिद्र सिकुड़ जाते हैं। जिस कारण जाड़े में हमारे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है। रंग लगने पर शरीर की सफाई अच्छे से हो जाती है। जिससे रोम छिद्र की गंदगी साफ हो जाती है। इससे हमारे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन ठीक हो जाता है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। और आने वाले हिंदू नव वर्ष में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है और ग्रीष्म ऋतु में शरीर स्वस्थ व निरोग रहता है।
उन्होंने कहा कि होली में रंग खेलने से उनके मेंटल हेल्थ को फायदा होगा और डिप्रेशन तनाव व स्ट्रेस दूर होगा। अलग-अलग रंग मन को अच्छा शांत महसूस कराते हैं और मन से नकारात्मक भावनाएं निकल जाती हैं।