नई दिल्ली (हि.स.)। विदेश यात्रा के समय अपने मेजबान के लिए उपहार ले जाना एक परम्परा है। भारत का हर प्रधानमंत्री या मंत्री विदेश यात्रा के समय अपने समकक्ष को यह भेंट देता है। उस देश से भी भेंट में वस्तुएं प्राप्त होती हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस भेंट देने-लेने के चलन में भी एक नया अध्याय जोड़ा है। ताजमहल की प्रतिकृति या हाथियों पर की गई नक्काशी वाले मॉडल आदि को छोड़ उन्होंने भारतीय समृद्ध विरासत वाले उपहारों से अपने मेजबानों को परिचय कराना शुरू किया है।
पिछले कुछ वर्षों में ऐसा करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की विदेश कूटनीति को सांस्कृतिक विविधता के जीवंत प्रदर्शन में बदल दिया है। प्रत्येक अंतरराष्ट्रीय यात्रा के साथ वह न केवल भारत के राजनयिक एजेंडे बल्कि इसकी समृद्ध विरासत, अपनी परंपराओं, भाषाओं, कला और आध्यात्मिकता को भी प्रदर्शित करते हैं। आप कह सकते हैं कि जब प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर जाते हैं तो एक प्रकार से पूरा भारत साथ ले जाते हैं और दुनिया भर को भारत की समृद्ध संस्कृति, परम्परा और कला की पहचान कराते हैं।
हाल ही में सम्पन्न नाइजीरिया, ब्राजील और गुयाना की अपनी यात्रा के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी अपने साथ देश के सभी कोनों से अनोखे उपहार लेकर गए। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री अपने साथ महाराष्ट्र से 8 उपहार, जम्मू-कश्मीर से 5, आंध्र प्रदेश और राजस्थान से 3-3, झारखंड से 2 और कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और लद्दाख से 1-1 उपहार लेकर गए। इन उपहारों से विदेश के लोग भारत की विविधता से तो परिचित होते ही हैं, आकर्षण बढ़ने पर इन वस्तुओं की विदेश में मांग भी बढ़ती है, जिससे इन राज्यों और इन्हें बनाने वालों की आय भी बढ़ती है।
महाराष्ट्र के उपहारों में सिलोफर पंचामृत कलश शामिल था, जो कोल्हापुर के पारंपरिक शिल्प कौशल का एक शानदार उदाहरण है, यह उन्होंने नाइजीरिया के राष्ट्रपति को दिया। इसी प्रकार वरली पेंटिंग – एक आदिवासी कलाकृति, जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र के दहानु, तलासरी और पालघर क्षेत्रों में रहने वाली वरली जनजाति की पहचान है, यह पेंटिंग प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति को भेंट की। साथ ही पुणे से बने पारंपरिक उपहार कैरिकॉम देशों के नेताओं को भेंट किए।
प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को चांदी के ऊँट सर के साथ प्राकृतिक रूप में अंकित एक आकर्षक उपहार दिया। साथ ही पारम्परिक तरीके से हस्तनिर्मित एक चांदी का चेस (शतरंज) पुर्तगाल के प्रधानमंत्री को भेंट में दिया। चांदी का ही बना नक्काशीदार कैंडल स्टैंड इटली की प्रधानमंत्री को भेंट में दिया तो कैरिकॉम के महासचिव को हस्तनिर्मित एक फलदान दिया, जिस पर मोर और पेड़ की नक्काशी की गई थी।
जम्मू-कश्मीर की जीवंत और विविधतापूर्ण संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाली स्वर्णजड़ित भेंट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को दी तो एक माचिस की डिब्बीनुमा आकृति में पश्मीना शाल गुयाना की प्रथम महिला को भेंट की। अर्जेंटीना के राष्ट्रपति को राजस्थान में निर्मित चांदी का फोटो फ्रेम भेंट किया, जिसमें धातु की पारंपरिक नक्काशी की गई थी। राजस्थान के ही मकराना मार्बल से बनी एक सुंदर कलाकृति नार्वे के प्रधानमंत्री को भेंट की।
आंध्र प्रदेश से चुने गए उपहारों में चांदी का हस्तनिर्मित कलाकृति युक्त पर्स शामिल था, जो कि ब्राजील के राष्ट्रपति की सहधर्मिणी को दिया। साथ ही आंध्र प्रदेश की अराकू कॉफी भी कैरिकॉम देशों के नेताओं को दिए गए पारंपरिक उपहार में शामिल है।
हजारीबाग की सोहराई पेंटिंग को जानवरों, पक्षियों और प्रकृति के चित्रण के लिए जाना जाता है। ऐसी ही एक पेंटिंग प्रधानमंत्री मोदी नाइजीरिया के उपराष्ट्रपति के लिए लेकर गए थे, जिसमें कृषि जीवन शैली और जनजातीय संस्कृति में वन्य जीवन का प्रतिबिंब था।
अन्य उपहारों में चिली के राष्ट्रपति को चांदी पर उत्कीर्ण उपहार और गुलाबवुड का रस्मी फोटो फ्रेम, कर्नाटक के चन्नापटना की पहचान लकड़ी की टॉय ट्रेन गुयाना के राष्ट्रपति के छोटे बेटे को भेंट की। तमिलनाडु की तंजौर पेंटिंग फ्रांस के राष्ट्रपति को दी गई। मधुबनी पेंटिंग, जिसे मिथिला पेंटिंग के रूप में भी जाना जाता है, गुयाना के राष्ट्रपति को भेंट की। इसी प्रकार ओडिशा के कटक में प्रचलित सदियों पुरानी चांदी की फिलिग्री कला का एक उत्कृष्ट नमूना गुयाना के उपराष्ट्रपति को भेंट में दी।