संस्कार भारती मध्य भारत प्रांत की भोपाल महानगर इकाई के साहित्य संगोष्ठियों के अनवरत आयोजित सौ अंक पूरे होने के उपलक्ष्य में इसकी दूसरी वर्षगांठ पर समाज सेवा न्यास भवन, भोपाल में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस 101वें कार्यक्रम की अध्यक्षता राजेंद्र शर्मा, प्रधान संपादक राजेंद्र शर्मा ने की। कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रांतों से डॉ सुरेंद्र बिहारी गोस्वामी, डॉ अरविंद श्रीवास्तव दतिया से, धर्मेंद्र सरल, वरिष्ठ साहित्यकार महेंद्र ठाकुर दास पुणे से, ‘राव’ शिवराज पाल सिंह जयपुर तथा जालना महाराष्ट्र से कन्नूलाल विटोरे, श्रीमती अनीता करकरे ग्वालियर से तथा डॉ कुमकुम गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
राव शिवराज पाल सिंह ने तीसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए अपने अध्यक्षीय उदबोधन में भारतीय हिंदी साहित्य जगत के विभिन्न मनीषियों जैसे गोस्वामी तुलसीदास, कबीर दास, गुरु नानक, समर्थ गुरु रामदास, संत तुकाराम, संत एकनाथ, संत रविदास (रैदास) भक्तिमति मीरा, संत ज्ञानेश्वर, गुरु अर्जुन देव तथा नाथ संप्रदाय के द्वारा सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के प्रयासों का वर्णन किया।
अपने उद्बोधन में राव ने आव्हान किया कि आइए, हम सब प्रबुद्ध जन सामाजिक असमानता भूलकर समाज को समरसता की और बढ़ाएं तथा हम सभीं होंठों पर गीता, गलें में गंगा जल, दिलो दिमाग में सत्यम शिवम सुंदरम तथा हाथों में तिरंगा झंडा लेकर सबका विकास सब के साथ मिलकर विकास के ध्वज को विश्व भर में पहुंचाएं। राव ने डॉ प्रेरणा चतुर्वेदी, अनीता करकरे, डॉ कुमकुम गुप्ता तथा भोपाल इकाई के सभी सदस्यों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में राव शिवराज पाल सिंह का प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान भी किया गया।