वसंत ऋतु में इस तरह रखें सेहत का ध्यान, न करें गरिष्ठ भोजन का सेवन

वसंत ऋतु में देर से पचने वाले, शीतल पदार्थ, दिन में सोना, स्निग्ध अर्थात घी-तेल में बने तथा अम्ल व मधुर रसप्रधान पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि ये सभी कफवर्धक हैं।

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वसंत ऋतु में मिठाई, सूखा मेवा, खट्टे-मीठे फल, दही, आइसक्रीम तथा गरिष्ठ भोजन का सेवन वर्जित है। इन दिनों में शीघ्र पचनेवाले, अल्प तेल व घी में बने, तीखे, कड़वे, कसैले, उष्ण पदार्थों जैसे- लाई, मुरमुरे, जौ, भुने हुए चने, पुराना गेहूँ, चना, मूँग, अदरक, सोंठ, अजवायन, हल्दी, पीपरामूल, काली मिर्च, हींग, सूरन, सहजन की फली, करेला, मेथी, ताजी मूली, तिल का तेल, शहद, गोमूत्र आदि कफनाशक पदार्थों का सेवन करें। भरपेट भोजन न करें। नमक का कम उपयोग तथा 15 दिनों में एक कड़क उपवास स्वास्थ्य के लिए हितकारी है।

वसंत ऋतु में सूर्योदय से पूर्व उठना, व्यायाम, दौड़, तेज चलना, आसन व प्राणायाम लाभदायी हैं। तिल के तेल से मालिश कर सप्तधान्य उबटन से स्नान करना स्वास्थ्य की कुंजी है।

वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग

  • 5 ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है।
  • 10 ग्राम घी में 15 ग्राम गुड़ मिलाकर खाने से सूखी खाँसी में राहत मिलती है।
  • 10 ग्राम शहद, 2 ग्राम सोंठ व 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है।

सावधानी

मुँह में कफ आने पर तुरंत बाहर निकाल दें। कफ बढ़ने पर गजकरणी, जलनेति का प्रयोग करें।