Sunday, November 17, 2024
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खुशी जैसी खुराक नहीं: सुजाता प्रसाद

सुजाता प्रसाद
स्वतंत्रत रचनाकार
शिक्षिका सनराइज एकेडमी
नई दिल्ली, भारत

जब हम खुश होने की वजहें तलाश रहे होते हैं तो हमें यह मानना चाहिए कि यह संकेत है कि हमारे अन्दर की सकारात्मकता नए रूप में हमारे सामने आने वाली है। कहते हैं कि ‘खुशी जैसी खुराक नहीं’ यानी जो खुश रहना जानता है, उसके जीवन में सुख ही सुख है। यह भी कहा जाता है कि अगर मन खुश है, तो आपके लिए पूरी दुनिया खुश है।

हम क्या कर सकते हैं क्या नहीं ये हमारी परिस्थितियों पर निर्भर कर सकता है लेकिन, हमें क्या करना है यह तो हमारा समझदारी भरा निर्णय होता है। स्वयं को खुश रखना हमारी बुनियादी जिम्मेदारी है, इसके लिए बस हमें ख़ुश रहने की जरूरत है। धीरे धीरे यह हमारा एक ऐसा गुण बन जाता है जिसे कोई हमसे छीन नहीं सकता। न हमारे आसपास के लोग, ना ही परिस्थितियां।

इसलिए यह जरूरी है कि ख़ुश रहना है या दुखी इसका चयन हमें ही करना है। क्योंकि ख़ुश रहने से हमारी समझदारी विकसित होती रहती है और हम अपने विरुद्ध कोई नासमझी करने से बचते रहते हैं। आइए इस खुशनुमा पल को अपना साथी बनाएं।

हालांकि खुश होना हमारे लिए कोई लक्ष्य नहीं है लेकिन हमारे ख़ुश होने से हम अपने कई कई लक्ष्य साध सकते हैं और उसमें सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं। हमारी सक्रियता हमारे ख़ुश होने में मददगार बनती है। हमारी क्रियाशीलता हमारे किसी भी उद्देश्य के संकल्प को पूरा करने में भी सहायक साबित होती है। इसलिए हमारा सक्रिय रहना हमारे जीवन को सिर्फ संवारता ही नहीं बल्कि हमारे जीवन के प्रति हमारी सहभागिता भी दर्शाता है।

इसलिए हमारा अपने जीवन में किसी न किसी रूप में शामिल होना बहुत जरूरी है। जब हम खुश और संतुलित होते हैं तब हमारे द्वारा लिया गया निर्णय कुछ अच्छा करने के लिए ही लिया जाता है। जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से हम चौंकाने वाले परिणाम पा सकते हैं। इसीलिए सकारात्मक नजरिये को विकसित करके हर हालत में खुश रहने का प्रयास करना चाहिए। ऐसी कोशिश ही जीवन को सफल बनाती है। अपनी खुशी को अभिव्यक्त करना शुरु करें, क्योंकि खुशी हमारी मूल प्रकृति है। आने वाला साल खुशियों भरा गुलदस्ता लेकर आए यही शुभकामना है। 

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