सर्वप्रथम उड़ान भरने का अनुभव सीखो, जो शक्तियां हमारे अंदर ही विद्यमान हैं, उन्हीं से ज्ञान लोl व्यर्थ की वस्तुओं को त्याग दो और मन को किसी भी असमंजस में ना उलझाओ। जो तुम कर चुके वो मत सोचो, तुम अब क्या करोगे इस पर ध्यान दो।
मन की दुर्बलता, स्वार्थपरता, अंधविश्वास, बेकार की माथापच्ची से स्वयं को स्वतंत्र करो और मन की गति पर संतुलन रखकर इन्द्रियों पर विजय स्थापित करो तथा आत्मबल को सुदृढ़ कर आत्मलाभ उठाओ, अपने कर्मो का उड़ान भरते समय हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि हम अपने सुमार्ग से ना हटें अनासक्ति भाव ना उपजने दें अपना प्रभाव स्वयं बनो।
जीवन में कुछ ऐसी बिन्दु आयेंगे जो हमारे चित्त को हताश करते रहेंगे। फिर भी हमें घबराना नहीं है। एकाग्र मन से केवल और केवल लक्ष्य प्राप्त हेतु अपनी इच्छाओं को शक्तिशाली बनाना है। कठिनाइयों से लड़कर, तूफानों से टकराकर, जो भी परीक्षा रूपी कसौटी पर खरा उतरा, वो ही धरती को भोग पाया है, वरना जन्म तो पहुत से लोग पाते हैं।
उच्चतम आदर्श तथा सकारात्मक विचारों को लेकर वीरतापूर्वक दृढ़प्रतिज्ञ हो कर इच्छा शक्ति को संगठित करना होगा इच्छा ही वो मात्र ऐसी शक्ति है जो उड़ान की पराकाष्ठा को लांँघ सकती है।
प्रार्थना राय
देवरिया,उत्तर प्रदेश