व्यंग्य- डूब गया रे मेरा मन, सजन पेट्रोल में: नवेन्दु उन्मेष

बाजार में पेट्रोल बहुत इतरा रहा था। उसे इतराता हुआ सोने-चांदी और शेयर से देखा नहीं गया। इस पर सोना उसकी ओर मुखातिब होते हुए बोला-आखिर क्या बात है कि तुम बाजार में आज बहुत इतरा रहे हो।

जवाब में पेट्रोल बोला-देख नहीं रहे हो मैंने अपनी कीमत बढ़ाकर बाजार में आग लगा दिया है।
आगे पेट्रोल ने कहा-देश के लोग अच्छे दिन आने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनके तो अच्छे दिन आये नहीं, अब हमारे अच्छे दिन आ गये हैं। इसी लिए आज मैं इतरा रहा हूं।

सोना-चांदी और शेयर के घमंड तोड़ते हुए पेट्रोल ने कहा एक समय था तुम लोगों की खबरें प्रतिदिन अखबार के प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित होती थी- सोना गिरा और चांदी टूटी। इसी प्रकार शेयर के भाव चढ़े और बढ़े। लेकिन अब तुम लोग खबरों से गायब हो चुके हो। तुम्हारे चढ़ने और गिरने से समाज में कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। इन दिनों खबरों में मेरा डंका बज रहा है। चौक-चौराहे पर सुबह-सुबह चाय के साथ सिर्फ मेरी ही चर्चा लोग कर रहे हैं। इससे जाहिर होता है मैं कितना बलशाली हूं।

पेट्रोल का प्रवचन चल ही रहा था कि कुछ मीडिया वाले वहां आ धमके और बताने लगे कि पन्द्रह दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमत में काफी उछाल आया है। वे यह भी बताने लगे कि आगे आने वाला समय और भी कठिन है। पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि से इनकार नहीं किया जा सकता।

मीडियाकर्मियों की बातों को सुनकर पेट्रोल ने कहा- मेरी मार्केट वैल्यु बढ़ने से मेरा सीना छत्तीस इंच से बढ़कर छप्पन इंच हो गया है। अब वह दिन दूर नहीं जब लोग अपना वाहन लेकर नहीं दवात लेकर पेट्रोल पंप पर जायेंगे और पेट्रोल पंप वाले से कहेंगे मुझे एक दवात पेट्रोल देना।

वह दिन भी दूर नहीं जब दूल्हा दहेज में अपने होने वाले ससुर से बाइक के साथ-साथ आजीवन पेट्रोल की मांग करेगा। अगर ससुर पेट्रोल देने में अक्षम होगा, तो दूल्हा अपनी नई नवेली दूल्हन को लेकर जायेगा और पेट्रोल पंप के दर्शन करा करके अपने घर वापस लौट आयेगा। तब नवविवाहिता अपने नये नवेले पति को देखकर आलिंगनबद्ध होकर गाएगी- ‘गंगा में डूबा, न जमुना में डूबा, डूब गया रे मेरा मन सजन पेट्रोल में।’

पेट्रोल ने देखा कि उसकी बातें लंबी होती जा रही है। बाजार की अन्य वस्तुएं भी उसकी बातों को सुनने के एकत्रित होने लगीं थी। पेट्रोल ने सोचा अगर भीड़ बढ़ गयी तो पुलिस की सुरक्षा लेनी पड़ेगी। यही सोचकर वहां से नौ दो ग्यारह हो गया। जाते-जाते वह लोगों से कह गया कि दोस्तों तुम यह न देखो की मेरी कीमत कितनी बढ़ रही है। तुम यह देखो कि तुम्हारी आमदनी कितनी बढ़ रही है।

नवेन्दु उन्मेष
शारदा सदन, इन्द्रपुरी- एक,
रातू रोड, रांची, झारखंड- 834005
संपर्क-9334966328