Saturday, November 16, 2024
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क्यों सबसे प्राचीन है जबलपुर का खेल इतिहास-2: पंकज स्वामी

पंकज स्वामी

(भोपाल में स्पोर्ट्स यूनिवर्स‍िटी के गठन की बात से जबलपुर व महाक‍ोशल के ख‍िलाड़ी, खेल संगठन और खेल प्रेमी उद्वेलित हैं। संभवत: जबलपुर का खेल इतिहास पूरे मध्यप्रदेश में सबसे पुराना है। जबलपुर को एक समय मध्यप्रदेश की खेलधानी का तमगा हासिल था। यहां सभी खेलों के मुख्यालय थे। जबलपुर से ही खेलों की शुरुआत हुई और उनका पूरे मध्यप्रदेश में प्रसार हुआ। जबलपुर का खेल इतिहास सिरीज का यह दूसरा भाग है।)      

जबलपुर के खेलों के विकास में स्थानीय क्लबों का खासा योगदान रहा है। सिटी स्पोर्ट्स और केंटोमेंट स्पोर्ट्स हॉकी में, मद्रास इलेवन व रजक क्लब फुटबाल में और कई क्लबों ने उस समय एसोसिएशन के अभाव में अन्य खेलों के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। क्षेत्रीय क्लब जैसे बंगाली क्लब, आंध्रा क्लब,गुजराती क्लब, जहांगीराबाद क्लब खेलों में हिस्सा लेने व आयोजन करने में अग्रणी रहते थे। उस समय कुछ क्लब-संस्थाओं मध्यप्रदेश खेलकूद विकास समिति, वॉयएमसीए, इंडियन टोबेको कंपनी, विल्स, ब्रिस्टल कंपनियां खेल आयोजनों में व‍िभ‍िन्न तरीके से सहायता करती थीं। यह सहायता स्मारिका में विज्ञापन के तौर पर, दान के रूप में होती थीं। उस समय रोटरी, लायंस और जेसीस जैसे क्लब खेल आयोजन में आगे रहते थे और जब भी जरूरत होती थी उनका योगदान सहर्ष रहता था। यह संस्थाएं प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से खेल आयोजन में सहयोग करती थीं। जेसीस ने तो जबलपुर में काल रैली का आयोजन करवाया। जबलपुर के मीड‍िया खासतौर से आकाशवाणी द्वारा पूरा समर्थन रहता था। उस समय जबलपुर में खेलकूद पत्रकार संघ का गठन भी हुआ।

शासकीय विभागों में सेना, पुलिस और रेलवे ने खेलों के विकास में सबसे ज्यादा योगदान दिया। टेलीग्राफ फेक्टरी, टेलीकॉम ट्रेनिंग सेंटर, रक्षा संस्थान जैसे जीसीएफ, ओएफके, सीओडी, वीएफजे, एमपीईबी और बैंक व एलआईसी ने भी आगे बढ़ कर खेल के साथ ख‍िलाड़‍ियों को संरक्षण दिया। स्थानीय स्वायत्त संस्थाएं नगर निगम, पंचायत व सोशल वेल्फेयर, नेहरू युवा केन्द्र भी इस दिशा में आगे बढ़ीं। उस समय मध्यप्रदेश क्रीड़ा परिषद में दमदारी से जबलपुर का पक्ष रखा जाता था। मध्यप्रदेश क्रीड़ा परिषद में जबलपुर से बीएल (बाबूलाल) पाराशर, परमानंद भाई पटेल, एम. रॉक, श्रीमती पिंटो, कुसुम मेहता, जगदीश नारायण अवस्थी, एनसी अग्रवाल, एसआर चड्डा, सीवी राव, एनसी जैन, बाबूराव परांजपे, बीके पाठक और जबलपुर से खेल मंत्री रहे बाबू जगमोहनदास और जयश्री बैनर्जी ने जबलपुर के खेलों व ख‍िलाड़‍ियों के हितों की रक्षा की। 

इतने समृद्धशाली खेल पृष्ठभूमि होने के कारण जबलपुर राज्य स्तरीय खेल संघों का मुख्यालय बन गया। मध्यप्रदेश ओलंपिक संघ, मान्यता प्राप्त संघ जैसे मध्यप्रदेश साइकिलिंग संघ, मध्यप्रदेश कबड्डी संघ, मध्यप्रदेश खो खो संघ, मध्यप्रदेश बॉक्स‍िंग संघ, मध्यप्रदेश कुश्ती संघ, मध्यप्रदेश बॉस्केटबाल संघ, मध्यप्रदेश वालीबाल संघ, मध्यप्रदेश हॉकी संघ, मध्यप्रदेश बैडमिंटन संघ, मध्यप्रदेश टेबल टेनिस संघ जैसे खेल एसोसिएशन का मुख्यालय जबलपुर ही था। ये सभी खेल संघों का एकमात्र ध्येय खेल व ख‍िलाड़‍ियों का विकास था।

हॉकी-उन्नीसवीं सदी के आरंभ में जिन शहरों में हॉकी खेल का प्रादुर्भाव उनमें जबलपुर भी एक है। इसे एंग्लो इंडियन और भारतीय दोनों समुदासके ख‍िलाड़‍ियों ने अपनाया। इसे सबसे पहले  जबलपुर के पुराने शासकीय महाविद्यालय (राबर्टसन कॉलेज) में प्राचार्य सर हेनरी शॉर्प ने 1894 में आरंभ किया। जबलपुर में सिटी स्पोर्ट्स क्लब और केंटोनमेंट स्पोर्ट्स क्लब सन् 1900 में ही स्थापित हो चुके थे। 

सामान्य क्रीड़ा प्रेमि‍यों ने बींसवी सदी के प्रथम दशक में हॉकी के खेल को जोर शोर से अपनाना शुरु किया। फौज की 33 वीं पंजाबी और ब्राम्हण रेजीमेंट के प्रधान मेजर फेल्ट व सूबेदार बाले तिवारी हॉकी के कुशल ख‍िलाड़ी थे। दोनों जबलपुर में ही सैनिक के तौर पर प्रतिष्ठ‍ित थे। बाले तिवारी हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के गुरू थे। ध्यानचंद के छोटे भाई रूप सिंह का जन्म जबलपुर में 1909 में हुआ। ध्यानंचद जब बालक थे तब यहां मिलिट्री बैरक के सामने खेला करते थे। उनके पिता 15 वीं ब्राम्हण रेजीमेंट में तैनात थे। जबलपुर में तैनात चेशायर रेजीमेंट ने तो बाम्बे के आगा खां कप को लगातार तीन साल-1910, 1911 व 1912 में जीतकर जबलपुर का नाम रोशन किया। इस टीम के प्राइस और रसेल सबसे प्रतिभावान ख‍िलाड़ी थे। यह काल जबलपुर की हॉकी का स्वर्ण युग था। 

स्कूलों की हॉकी प्रतियोगिताएं 1907 में जेईएए द्वारा शुरु की गईं। जबलपुर नगर के स्कूलों में अंजुमन इस्लामिया, सीएमएस, क्राइस्ट चर्च, सेंट अलॉयश‍ियस और एपी नर्मदा स्कूल तो हॉकी के होनहार ख‍िलाड़‍ियों के संवर्द्धन केन्द्र थे। वर्ष 1928 जबलपुर में हॉकी के चरमोत्कर्ष का वर्ष था। इस वर्ष रेक्स नॉरिस और एम. रॉक ने भारतीय ओलंपिक टीम का प्रत‍िन‍िध‍ित्व किया और पहली बार एम्सटरडम में विश्व चैम्प‍ियनश‍िप जीती। उसके पश्चात् तो जबलपुर के बहुत से ख‍िलाड़‍ियों ने ओलंपिक हॉकी प्रतियोगिता में भाग लिया। सुलीवान ने 1932 (भारत), कॉनरॉय 1948 (इंग्लैंड), पियर्स ब्रदर्स ने 1960 और बाद में आस्ट्रेलिया में ओलंपिक में भाग लिया। आस्ट्रेलिया के हॉकी कोच मर्व एडम्स जबलपुर के थे। 

वर्ष 1967 में नगर निगम जबलपुर ने अख‍िल भारतीय स्तर की हॉकी प्रतियोगिता के लिए ऑल इंडिया गोल्ड कप ट्रॉफी प्रदान की। इसके अंतर्गत भारत की तमाम टीमें भाग लेने जबलपुर प्रतिवर्ष आती थीं। हॉकी के मैदानों में पुलिस ग्राउंड सबसे पुराना है। जबलपुर को हॉकी के अंतरराष्ट्रीय रेफरी देने का गौरव भी प्राप्त है। हॉकी के कुशल ख‍िलाड़ी एनसी अग्रवाल रेफरी वर्ग 1 मैक्‍स‍िको और बैंकाक ओलंपिक में हॉकी प्रतियोगिताओं के रेफरी रहे। एसएन शुक्ला रेफरी वर्ग 1 ने तेहरान एश‍ियन हॉकी प्रतियोगिता में अपनी निर्णय क्षमता का परिचय देकर जबलपुर को गौरवान्वि‍त किया। हॉकी के राष्ट्रीय स्तर के कुशल ख‍िलाड़ी बीके सेठ, एसके नायडू व अब्दुल कय्यूम हॉकी के श्रेष्ठ निर्णायकों में माने जाते थे।

क्रमश:

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