पंकज स्वामी
(भोपाल में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के गठन की बात से जबलपुर व महाकोशल के खिलाड़ी, खेल संगठन और खेल प्रेमी उद्वेलित हैं। संभवत: जबलपुर का खेल इतिहास पूरे मध्यप्रदेश में सबसे पुराना है। जबलपुर को एक समय मध्यप्रदेश की खेलधानी का तमगा हासिल था। यहां सभी खेलों के मुख्यालय थे। जबलपुर से ही खेलों की शुरुआत हुई और उनका पूरे मध्यप्रदेश में प्रसार हुआ। जबलपुर का खेल इतिहास सिरीज में आप लोग दो किश्त पढ़ चुके हैं। यह तीसरी किश्त है। सभी खेल के इतिहास को प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगा।)
पिछले से जारी……
हॉकी में बात करें तो जबलपुर में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हुए। इन सभी के नाम देना एक मुश्किल काम है। फिर भी बात करें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ए. डब्ल्यू. केलब ने 1958 में टोक्यो एशियाड में भारत का प्रतिनिधित्व किया। सिग्नल ट्रेनिंग सेंटर के टोप्पो ने एशियन गेम्स 1966 में, दाउद मोहम्मद ने हेम्बर्ग इंटरनेशनल में उस भारतीय का प्रतिनिधित्व किया जिसने उस प्रतियोगिता को जीता। उन्होंने 1967 में जापान का दौरा भी किया। जबलपुर के एस. मुखर्जी ने 1967 में स्पेन के मेड्रिड के दौरे पर गई भारतीय टीम के सदस्य रहे। यहां भारतीय टीम विजेता बनी और सुबीर मुखर्जी यूरोप के दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम में शामिल रहे। मुश्ताक जूनियर 1969 में ईस्ट जर्मनी के साथ टेस्ट मैच खेलने वाली भारतीय टीम के सदस्य बने। टेस्ट मैच में यह मैच जबलपुर में खेला गया था। जबलपुर के शिवराम को 1968 में भारतीय रेलवे की टीम में शामिल किया गया। इस टीम ने 1968 में काबुल का दौरा किया। एस. मुखर्जी जूनियर ने 1976 में भारत की संयुक्त विश्वविद्यालय टीम (Combined Universities) का प्रतिनिधित्व किया जिसने फ्रांस, पुर्तगाल, वेस्ट जर्मनी व स्पेन का दौरा किया। जबलपुर के अरुण कुमार, माइकल अंथोनी व हनुमान प्रसाद तिवारी लगभग अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी माने जा सकते हैं। संजय दुबे ने भी संयुक्त विश्वविद्यालय टीम (Combined Universities) का प्रतिनिधित्व किया।
जबलपुर को कई अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैचों के आयोजन का गौरव भी मिला। यहां 1961 में भारत व न्यूजीलैंड, 1962 में भारत व हॉलैंड, 1964 में भारत व केन्या, 1965 में भारत व फ्रांस, 1968 में भारत व ईस्ट जर्मनी और 1977 में भारत व ग्रेट ब्रिटेन के मध्य मैच खेले गए।
जबलपुर जिला हॉकी संघ की सक्रियता देखने लायक थी। स्थानीय तौर पर इडुलजी, बदरूउद्दीन, चौबे और चीथम हॉकी प्रतियोगिताओं का आयोजन नियमित रूप से होता था। उस समय सेंट्रल रेलवे क्लब द्वारा लोको, नर्बदा, शिव व तिवारी मेमोरियल हॉकी प्रतियोगिताओं का आयोजन जबलपुर जिला संघ के साथ मिलकर किया जाता था। वर्ष 1967 में जबलपुर नगर निगम ने कार्पोरेशन गोल्ड कप हॉकी ट्राफी दान की और प्रतियोगिता की शुरुआत भी की। इस प्रतियोगिता में देश की मशहूर टीमें खेलने नियमित रूप से आती थीं। उस समय राइट टाउन स्टेडियम हॉकी सबसे बड़ा मैदान था। जबलपुर जिला हॉकी संघ में मानसेवी सचिव के रूप में बैनर्जी, एयू खान, एनएस जेनकिंस, एनसी अग्रवाल, एसएन शुक्ला, एसएस कलवार, एनआर नायडू, एएस राम, इलिसा और श्रीनिवास ने अपने अध्यक्षों के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जबलपुर जिला हॉकी संघ, रेलवे और जबलपुर विश्वविद्यालय की टीमों ने इंटर डिस्ट्रिक्ट हॉकी प्रतियोगिताएं जीतकर अपनी धाक जमाई। जबलपुर विश्वविद्यालय ने 1959 में इंटर यूनिवर्सिटी हॉकी प्रतियोगिता जीतती और 1962 में टीम ने फाइनल में स्थान बनाकर उपविजेता बनी। जबलपुर यूनिवर्सिटी ज़ोनल फाइनल में भी पहुंची और 1981 में मेरठ में उसे ऑल इंडिया प्रतियोगिता में तृतीय स्थान मिला।
क्रमश: