विश्व हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

मनेन्द्रगढ़। भारत की आजादी के समय ही संविधान में लिखा गया की 1965 तक अंग्रेजी राजभाषा रहेगी और जब तक दक्षिण भारत के लोग सहमत नहीं होंगे तब तक अंग्रेजी राजभाषा रहेगी, यह हिन्दी को नष्ट करने का बहुत बड़ा षड्यंत्र था।
कोरिया साहित्य व कला मंच मनेंद्रगढ़ एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए नगर के चर्चित कवि नारायण तिवारी ने कहा कि आज यह बहुत अच्छी बात है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवाओं में बहुत से हिन्दी भाषी प्रतियोगी आ रहे हैं। श्री तिवारी ने कहा कि जब सत्ता की इच्छा शक्ति मजबूत होगी तो हिन्दी राजभाषा और राष्ट्रभाषा बन जाएगी।
इस अवसर पर कार्टूनिस्ट और व्यंग्यकार जगदीश पाठक ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हिन्दी प्रिय और मीठी भाषा है भाषाई झगड़े केवल राजनीतिक कारणों से हैं, आज विशुद्ध साहित्यिक शब्द प्रचलित होकर सरल हो जाते हैं और आम बोलचाल में आ जाते हैं यह हमारे लिए खेद का विषय हैं की आज तक हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी वह केवल राजभाषा बनकर रह गई है। कार्यक्रम के अगले चरण में देश के विभिन्न मंचों पर सम्मानित कवियत्री अनामिका चक्रवर्ती ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अंग्रेजी भाषा बोलना ना आना कोई शर्म की बात नहीं क्योंकि हमारी मातृभाषा हिन्दी है। हिंदी में हम अपनी बात को अच्छे ढंग से रख सकते हैं, आज ज्यादातर लोग दूसरे को प्रभावित करने के लिए बनावटी ढंग से अंग्रेजी भाषा बोलने लगते हैं। नगर के युवा कवि रितेश श्रीवास्तव ने कहा कि महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा विश्व का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय हैं, जो हिंदी को पूरा-पूरा महत्व देती है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी माध्यम के बच्चे अंग्रेजी माध्यम के बच्चों की तुलना में ज्यादा अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं। जिले में मंच संचालन में अपना स्थान बना चुकी वीरांगना श्रीवास्तव ने कहा कि हिन्दी सरल और सहज भाषा है। यह जिलों को आपस में जोड़ने वाली भाषा है। नगर के फोटोग्राफर कवि मृत्युंजय सोनी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज सोशल मीडिया के कारण हिन्दी का महत्व बढ़ा है आज सोशल मीडिया में युवा वर्ग बहुत सक्रिय है और वह अपनी बात हिन्दी में ही कहता है। हिन्दी में समझता है। जो हिन्दी के विकास में बहुत सहायक है। श्री सोनी ने आगे कहा कि अंग्रेजी बोलने वाला पढ़ने वाला जरूरी नहीं कि बहुत विद्वान हो अंग्रेजी केवल एक भाषा है और यह विद्वान होने का कोई प्रमाण नहीं।
इस अवसर पर उपस्थित रचनाकारों ने संविधान निर्मात्री समिति के 389 सदस्यों में से एक सदस्य स्वर्गीय रतन चंद मालवीय को याद किया, जो मनेंद्रगढ़ के की निवासी थे और स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में केंद्रीय उप श्रम मंत्री रहे।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। इसके साथ ही की यह भी तय किया गया कि शीघ्र ही पत्रकारिता के सामाजिक सरोकार विषय पर एक परिचर्चा रखी जाएगी।
इस अवसर पर व्यंग्यकार जगदीश पाठक, वरिष्ठ साहित्यकार गंगा प्रसाद मिश्र, रितेश श्रीवास्तव, श्रीमती वीरांगना श्रीवास्तव, श्रीमती अनामिका चक्रवर्ती, श्रीमती अल्पना चक्रवर्ती, नारायण तिवारी, मृत्युन्जय सोनी उपस्थित रहे।