एमपी सरकार कर रही संविदा विद्युत कर्मियों की अनदेखी: संविदा नीति में संशोधन आवश्यक

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मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनियों में कार्यरत विद्युत संविदा कर्मियों के द्वारा वर्षों से नियमित कर्मियों के स्थान पर पूर्ण जिम्मेदारियों एवं जोखिम के साथ कार्य किया जा रहा है। फिर भी सरकार एवं बिजली कंपनियां इनकी लगातार अनदेखी कर रही है। अनदेखी के कारण विद्युत संविदा कर्मियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

यूनाइटेड फोरम के प्रांतीय संयोजक व्हीकेएस परिहार ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर को संविदा नीति 2018 में संशोधन हेतु 11 सूत्री बिंदु प्रेषित किए हैं। ऊर्जा मंत्री के संज्ञान में लाया गया है कि कर्मियों हेतु लागू संविदा नीति 2018 में अधिकांश विसंगतियां व्याप्त हैं, जिनका समय अनुरूप सुधार होना अत्यंत आवश्यक है।

ऊर्जा मंत्री को भेजे गये बिंदुओं में कहा गया है कि संविदा नीति में वर्णित बिंदु 6.1 (अ) एवं (ब) जिसके अनुसार प्रत्येक 3 वर्ष के पश्चात विद्युत संविदा कर्मियों को 3 दिन का अंतराल देने के पश्चात पुन: अनुबंध के माध्यम से रखा जावे। इस कंडिका के तहत यह संज्ञान में लाना आवश्यक है कि विद्युत विभाग में कर्मचारियों की कमी के कारण उक्त तीन दिवस में भी विद्युत संविदा कर्मी दबाववश कार्य करने हेतु मजबूर होते हैं जिसमें किसी भी दुर्घटना की जवाबदारी उनकी स्वयं की होती है, कुछ क्षेत्रों में रिपोर्टिंग अधिकारी व्यक्तिगत कारणों से उक्त नियम की अवहेलना करते हुए तीन दिवस के स्थान पर 15 दिन भी कर्मचारी को लगातार परेशान करने के पश्चात नवीन अनुबंध करवाते हैं। अत: जब संविदा नीति में 60 वर्ष तक की आयु में कार्य करने का प्रावधान दिया गया है एवं वर्तमान में कार्यरत विद्युत संविदा कर्मी वर्षों से कार्यरत हैं इसलिए मध्य प्रदेश की सेवानिवृत्त आयु तक का एक अनुबंध कराया जाना उचित होगा। अत: इस प्रकार का संसोधन किया जाना आवश्यक है।

संविदा नीति 2018 के वर्णित बिंदु 7.3.4 के अनुसार संविदा कर्मी दोषपूर्ण होने के पश्चात नियमित कर्मचारी की ही भांति कार्यवाही के पात्र होते हैं, किंतु अधिकांश क्षेत्रों में उनके ऊपर मनमानीपूर्ण कार्यवाही की जाती है जिसमें उनकी सीआर खराब कर सेवा से निष्कासित कर दिया जाता है, जो कि उक्त नीति के नियमों की अवहेलना है। अत: उक्त नियम में संशोधन कर निष्कासन के स्थान पर नियमित कर्मी की भांति दोष सिद्ध होने पर निलंबन एवं आदि कार्यवाही के नियम संविदा नीति 2018 उल्लेखित होना आवश्यक है।

विद्युत संविदा कर्मी राज्य शासन अंतर्गत बिजली कंपनियों के नियम के अनुसार कार्य करते हैं सेवा के दौरान स्वास्थ्य खराब होना, दुर्घटना होना आदि की जिम्मेदारी बिजली कंपनी की होती है, इसलिए विद्युत संविदा कर्मियों को भी चिकित्सा प्रतिपूर्ति, पेंशन, बीमा एवं अनुकंपा नियुक्ति की जिम्मेदारी का उल्लेख उक्त नीति के वर्णित बिंदु 4.5.1,4.5.2,4.5.5 एवं 4.5.7 में संशोधन होना आवश्यक है।

वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मी बिजली विभाग में नियमित अधिकारी एवं कर्मचारियों का कार्य संभाल रहे हैं। आज भी संविदा कर्मी सहायक कि नहीं बल्कि मुख्य भूमिका में नियमित कर्मियों की कमी के कारण उनके स्थान पर संपूर्ण दायित्वो के साथ कार्यों का निष्पादन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में जहां नियमित कर्मियों को वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाता है तो वही संविदा कर्मियों को संविदा नीति 2018 में वर्णित बिंदु 4.2.1 के अनुसार वर्ष में केवल एक बार महंगाई भत्ता दिया जाता है, जहां नियमित कर्मियों को 3 प्रतिशत वेतन वृद्धि मूल वेतन में जोड़ा जाता है, तो वही संविदा कर्मियों को उक्त नीति के बिंदू 4.2.2 के अनुसार वर्ष में केवल 1 प्रतिशत वेतन वृद्धि ही परिश्रमिक में दिया जाता है। जो कि संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है जब जिम्मेदारियां सामान, कार्य समान, जोखिम समान, पद समान फिर भी यह भेदभाव नियम विरुद्ध है उक्त संशोधन भी नीति में आवश्यक है।

आज विद्युत विभाग में विद्युत कर्मियों की इतनी कमी है की चाह कर भी संविदा कर्मियों के लिए कोई अलग से कार्यप्रणाली प्रायोगिक रूप से संभव नहीं, क्योंकि यह संभव ही नहीं है जिस कारण विद्युत संविदा कर्मियों को नियमित कर्मियों की ही भांति खंभे पर चढ़कर जोखिम भरे कार्य पूर्ण करने होते हैं, नियमित कर्मियों की ही भांति उन्हें भी उपकेंद्रों एवं फ्यूज ऑफ कॉल पर रात्रि में ड्यूटी करनी होती है, राष्ट्रीय त्योहारों को उन्हें भी नियमित कर्मियों की भांति विद्युत की व्यवस्था संभालनी होती है, इसलिए विद्युत संविदा कर्मियों को भी जोखिम भत्ता, रात्रि कालीन भत्ता, राष्ट्रीय त्योहार भत्ता दिए जाने हेतु उक्त नीति के बिंदू 4.5.5, 8.10 एवं 4.5.7 में संसोधन किया जाना आवश्यक है।

विद्युत संविदा कर्मी, नियमित बिजली कर्मी के स्थान पर मुख्य भूमिका में कार्यों का निष्पादन कर रहे हैं, जिसमें जोखिम में भी समानता है अत: विद्युत संविदा कर्मियों का एक्सीडेंटल बीमा 50 लाख किए जाने हेतु संशोधन उक्त नीति के बिंदू 4.5.8 में आवश्यक है।

मध्य क्षेत्र कंपनी के द्वारा परीक्षण सहायक नियमित वर्ष 2013 की प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को नियम विरुद्ध संविदा पर भर्ती किया गया, जबकि निर्धारित पदों से अधिक की आवश्यकता पर पदों की संख्या घटाने एवं बढ़ाने का अधिकार कंपनी के पास सुरक्षित था, किंतु कंपनी के द्वारा नियम विरुद्ध पदों को संविदा पर किया गया। भर्ती का विज्ञापन नियमित हेतु, लिखित परीक्षा नियमित हेतु, साक्षात्कार नियमित हेतु किंतु प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवारों को संविदा पर नियुक्त करना नियम विरुद्ध एवं अन्यायपूर्ण था। जिसमें तत्काल सुधार करते हुए उन्हें नियमित किया जाये।

प्रारंभ से ही पूर्व क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र कंपनियों के द्वारा विद्युत संविदा कर्मियों का एनपीएस काटा जा रहा था एवं मध्य क्षेत्र कंपनी के द्वारा ईपीएफ काटा जा रहा था। किंतु पूर्व क्षेत्र एवं पश्चिम क्षेत्र कंपनी के द्वारा वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मियों के भविष्य को अंधकार में रखते हुए उनकी भविष्य निधि सुरक्षित नहीं की जा रही है जो कि केंद्र एवं राज्य सरकारों के श्रमिक कानूनों का घोर उल्लंघन है, तत्काल पूर्व एवं पश्चिम क्षेत्र कंपनियों में एनपीएस प्रणाली बहाल की जाए साथ ही मध्य क्षेत्र कंपनी में भी 15000 से अधिक वेतन के विद्युत संविदा कर्मियों को एनपीएस प्रणाली में जोड़े जाने हेतु संविदा नीति 2018 के वणिज़्त बिंदु 8.13 में संशोधन आवश्यक है।

संविदा कर्मचारियों को संविदा नीति 2018 के परिशिष्ट 1 की तालिका 1 में दर्शाए प्रारूप अनुसार नियमित कर्मचारी के वेतन का 90 प्रतिशत वेतन दिए जाने का उल्लेख है, किंतु वर्तमान में विद्युत संविदा कर्मियों को प्राप्त होने वाला वेतन 90 प्रतिशत से बहुत कम है जिसमें सुधार कर नियमित कमिज़्यों के वास्तविक वेतन का 90 प्रतिशत वेतन संविदा कर्मियों को दिया जाना चाहिए।

विद्युत विभाग में संविदा लाइन परिचारक आईटीआई उत्तीर्ण एवं वर्षों से कुशल कार्य के अनुभवी हैं, किंतु फिर भी उन्हें चतुर्थ वर्ग में निरंतर जारी रखना नियमों की अवहेलना है। संविदा लाइन परिचारक को तृतीय वर्ग में रखने हेतु संविदा नीति 2018 में नियम संशोधित करना आवश्यक है।

अधिकांश विद्युत संविदा कर्मी सैकड़ों किलोमीटर दूर आंशिक वेतन पर कार्य कर रहे हैं, जिससे वे न तो स्वयं का जीवन निर्वाह कर पा रहे हैं और न अपने बुजुर्ग माता-पिता एवं परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हैं। ऐसे विद्युत संविदा कर्मियों हेतु एक बार स्थानांतरण की प्रक्रिया आरंभ कर स्वेच्छा से गृह जिले या आस पास स्थानांतरित करवाने हेतु आवेदन स्वीकार कर स्थानांतरित किये जाने हेतु नीति बनाई जाये, जिससे सभी लोग अपना कार्य सुचारू रूप से कर सके।