व्यायाम शिक्षकों से सौतेला व्यवहार बंद करे मप्र सरकार, प्रशिक्षण के बावजूद नहीं मिली पदस्थापना

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि विगत 15 वर्षों से शिक्षा विभाग द्वारा अध्यापक संवर्ग के लोक सेवकों के लिए व्यायाम शिक्षक के पद हेतु शासकीय व्यय पर शिवपुरी में एक वर्ष का सीपीएड एवं दो वर्ष का डीपीएड प्रशिक्षण की अनुमति प्रदान की गई थी।

जिसके तहत प्रतिवर्ष प्रदेश के लगभग 100 शिक्षकों को उक्त प्रशिक्षण शासकीय व्यय पर दिया जाता है। इस पर प्रदेश सरकार लाखों रूपय व्यय कर रही है, परन्तु इसका लाभ विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को प्राप्त नहीं हो पा रहा है। जिससे यह प्रतीत होता है कि सरकार द्वारा यह प्रशिक्षण केवल प्रशिक्षण केन्द चलाने हेतु दिया जा रहा है, क्योंकि विगत 15 वर्षों में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हजारों अध्यापकों को प्रशिक्षण उपरांत भी व्यायाम शिक्षक का दर्जा नहीं मिल सका है।

आज भी ये शिक्षक व्यायाम प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भी शासकीय माध्यमिक शालाओं में पदस्थ हैं, जबकि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य है कि प्रशिक्षण उपरांत इन शिक्षकों को हाई व हायर सेकेण्डी शालाओं में पीटीआई अथवा व्यायाम शिक्षक के पद पर पदस्थ किया जाये, ताकि विद्यार्थियों में खेल प्रतिभा उभारने के साथ-साथ ही शारीरिक शिक्षा भी दी जा सके एवं खेल के प्रति विद्यार्थियों में रूचि पैदा हो सके।

संघ के योगेन्द्र दुबे, संजय यादव, मुकेश सिंह, सोनल दुबे, मंसूर बेग, आशुतोष तिवारी, डॉ संदीप नेमा, आलोक अग्निहोत्री, दुर्गेश पाण्डेय, सुरेन्द्र जैन, श्रीराम झारिया, संतकुमार छीपा, डीपी सिंह, सुशील डोंगरे, श्याम बाबू मिश्रा, राकेश सेंगर, मुकेश धनगर, बलराम नामदेव, केके विश्वकर्मा, नरेन्द्र शुक्ला, नेतराम झारिया, कृपाल झारिया, राधेश्याम निर्मलकर, मनोज पाठकर आदि ने शिक्षा मंत्री एवं प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग को ईमेल भेजकर माग की है कि अध्यापक संवर्ग के ऐसे लोक सेवक, जिन्होंने उक्त प्रशिक्षण प्राप्त किया है, उनकी पदस्थापना तत्काल हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल में पीटीआई अथवा व्यायाम शिक्षक के पद पर किये जाने के आदेश जारी किये जाएं, ताकि प्रशिक्षित प्रशिक्षकों का लाभ विद्यार्थियों को प्राप्त हो सके।