एमपी के शासकीय कर्मियों के साथ इलाज में भी हो रहा भेदभाव, पुलिस विभाग की तरह मिले उपचार की सुविधा

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय ने बताया है कि अधिकारियों और कर्मचारियों को सरकारी खर्चे पर प्रदेश के सभी प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की सुविधा नहीं दी जा रही है, अनेक अस्पतालों की मान्यता का समय समाप्त हो चुका है। कर्मचारी इन अस्पतालों में इलाज कराने में खर्च हुए बिल जमा करेगा तो वह मान्य नहीं होगें। वहीं पुलिस विभाग एवं न्यायालयीन कर्मचारियों को हमेशा प्राइवेट अस्पतालों में किसी भी समय इलाज की सुविधा दी जा रही है ।

सभी विभागों के कर्मचारियों को यह सुविधा नहीं दी जा रही है, इलाज की सुविधा में भी सरकार द्वारा भेदभाव किया जा रहा है। इलाज महंगा होने के कारण कुछ कर्मचारी और उनके परिजन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। कुछ विभागों में नियमित और कार्यभारित स्थापना के अनेक अधिकारी और कर्मचारी महंगी जाँच, डॉक्टर की फीस और महंगी दवाइयां होने के कारण इलाज भी नहीं करवा पा रहे है। सभी सरकारी कर्मचारियों और उनके बुजुर्ग माता, पिता, पुत्र, पुत्री को पुलिस विभाग की तरह प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी खर्चे पर इलाज करने की सुविधा नहीं है।

एमपी के कर्मचारियों को अस्पतालों में भर्ती होने के पश्चात विभागों से इलाज एडवांस भी नहीं दिया जाता, जबकि पुलिस विभाग और न्यायालयीन कर्मचारियों को किसी भी प्राइवेट अस्पताल में इलाज की सुविधा दी जा रही है। अन्य विभाग के तृतीय, चतुर्थ श्रेणी और अल्प आय वाले कर्मचारियों को महंगे इलाज के कारण भारी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के संरक्षक योगेन्द्र दुबे, जिलाध्यक्ष अटल उपाध्याय, नरेश शुक्ला, प्रशांत सोंधिया, मुकेश चतुर्वेदी, सन्तोष मिश्रा, संजय गुजराल, रविकांत  दहायत, अजय दुबे, देव दोनेरिया, एसके वांदिल, योगेश चौधरी, योगेन्द्र मिश्रा, विश्वदीप पटेरिया, राजेन्द्र त्रिपाठी, धीरेंद्र सिंह, प्रदीप पटैल, मुकेश मरकाम, आलोक अग्निहोत्री, आशुतोष तिवारी, दुर्गेश पांडेय, ब्रजेश मिश्रा ने सभी विभागों के कर्मचारियों को भी पुलिस विभाग के समान सरकारी खर्चे पर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाने एवं सभी प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की अनुमति प्रदान करने के आदेश जारी करने की माँग की है।