एमपी: विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन रच रहा संविदा कार्मिकों के शोषण के नित नए कीर्तिमान

मध्य प्रदेश की पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंधन द्वारा संविदा कार्मिकों के शोषण के नित नए कीर्तिमान रचे जा रहे हैं। स्थिति यह है कि संविदा पदों पर पदस्थ कार्मिकों की स्थिति बंधुआ मजदूर से भी बदतर हो गई है।

कंपनी प्रबंधन के रवैये से त्रस्त संविदा कार्मिकों ने यूनाइटेड फोरम के प्रांतीय संयोजक से सहायता की गुहार लगायी है। संयोजक को बताया गया है कि केवल पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में संविदा कार्मिकों के कॉन्ट्रैक्ट एक्सटेंशन के समय बिना किसी नियम के ही एचआर कार्यालय द्वारा उनकी शोकॉज की पेंडेंसी चेक की जाती है।

इस दौरान एक छोटा मोटा शोकॉज भी पेंडिंग होने पर कॉन्ट्रैक्ट का एक्सटेंशन रोक दिया जाता है, जब तक कि वह क्लियर ना हो जाए और सरकारी हीलाहवाली की तर्ज पर कार्य होने से ऐसे SCN क्लियर होने में कम से कम 2 महीने का वक्त लग जाता है, तब तक के लिए उक्त संविदा कार्मिक को सेवा से बाहर रखा जाता है, जिसका उसे कोई भुगतान नहीं मिलता एवं एसई, ईई द्वारा अनावश्यक दबाव बनाकर उससे काम भी लिया जाता है।

किसी भी कार्मिक के लिए इससे बड़ी प्रताड़ना और कुछ नहीं हो सकती, यह अत्यंत गंभीर मुद्दा है, जिसका तुरंत समाधान अति आवश्यक है। पीड़ित कार्मिकों ने प्रांतीय संयोजक से गुहार लगाते हुए कहा है कि इसको मामले को संज्ञान में लेकर तुरंत इस पर आवश्यक कार्यवाही हेतु फोरम द्वारा प्रयास किए जाएं।

संविदा कार्मिकों का शोषण दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है और ऐसा संज्ञान में आया है कि कोरोना की पीक के अवधि के दौरान और वर्तमान में भी संविदा कर्मचारियों एवं अधिकारियों को मिले राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा ना होने पर कारण बताओ नोटिस जारी किये जा रहे हैं।

कार्मिकों द्वारा नोटिस का जवाब देने के बाद तथा नोटिस क्लियर ना होने पर उनका अनुबंध समाप्त होने पर भी नहीं बढ़ाया जा रहा है। वर्तमान में ऐसा ही एक मामला रीवा रीजन के अंतर्गत आया है, जहाँ एक मामले में जुलाई में संविदा अनुबंध समाप्त होने के बाद भी आज दिनांक तक अनुबंध आगे नहीं बढ़ाया गया।