एमपी की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की नीतियों में नहीं है एकरूपता, कर्मियों को हो रहा भारी नुकसान

मध्य प्रदेश के ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आने वाली तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के नीतियों में भारी अंतर और विसंगतियां व्याप्त होने से विद्युत अधिकारियों एवं कर्मचारियों का आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है। साथ ही उन्हें अनेक परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है।

ज्ञात रहे कि प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में राज्य सरकार द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को प्रबंध संचालक के पद पर नियुक्त किया जाता है और एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी, तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के चेयरमैन भी होते हैं, इसके बावजूद तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की नीतियों में साम्य नज़र नहीं आता।

वहीं ऊर्जा विभाग द्वारा 28 नवंबर 2017 को एक आदेश जारी कर कहा गया था कि तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के सीजीएम-एचआरए को कार्मिक हित में हर माह बैठक आयोजित करना है, लेकिन अधिकारी ऊर्जा विभाग का आदेश ही भूल गए, जिससे कई विसंगतियां उत्पन्न हो गई हैं।

हर महीने बैठक नहीं होने से उत्पन्न हुई विसंगतियों को इस तरह समझ सकते हैं कि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में 2018 से अधिकारियों एवं कर्मचारियों के एनपीएस की कटौती बंद कर दी गई है, जबकि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में एनपीएस की कटौती की जा रही है। वहीं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अपने कार्मिकों को ईपीएफ की सुविधा प्रदान कर रही है।

वहीं मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अपने सभी वर्ग के कर्मचारी, जिनका वेतन 21 हजार से कम है, उन्हें नियमानुसार बोनस दे रही है, जबकि बाकी दोनों विद्युत वितरण कंपनियों के कर्मचारी बोनस से वंचित हैं। इसके अलावा पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी छुट्टी के दिन कराने पर कार्मिक को दुगना वेतन प्रदान कर रही है, जबकि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारियों को छुट्टी के दिन कार्य कराए जाने के बावजूद किसी तरह का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

यहां उल्लेखनीय है कि ऊर्जा विभाग ने एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी एवं तीनों वितरण कंपनियों में मानव संसाधन से संबंधित मामलों में नीतिगत रूप से एकरूपता लाने के उद्देश्य से एक समिति का गठन किया था। इस समिति में पावर मैनेजमेंट कंपनी के सीजीएम-एचआर को अध्यक्ष एवं संयोजक नियुक्त किया था, बाकी तीनों विद्युत वितरण कंपनी के सीजीएम-एचआर को सदस्य बनाया गया था। इस समिति को प्रति माह बैठक करना थी।

इस समिति को समान पदों पर भर्ती के लिए चारों कंपनियों में एक समान प्रक्रिया निर्धारण हेतु अनुशंसा करना। वर्तमान में जिन पदों की भर्ती के लिये विज्ञापन जारी किये गये हैं. उनकी समीक्षा कर यदि संशोधन आवश्यक हैं तो उसकी अनुशंसा करना। अन्य मानव संसाधन संबंधी मामलों यथा प्रशिक्षण, परफारमेंस मैनेजमेंट में नीतिगत रूप से एकरूपता हेतु अनुशंसा। इनमें नियमित/संविदा एवं आउट सोर्सिग के मामले सम्मिलित होंगे।

ऊर्जा विभाग के आदेश में ये कहा गया था कि समिति को अपनी अनुशंसा प्रबंध संचालक, पावर मैनेजमेंट कंपनी को प्रस्तुत करेगी। पावर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी द्वारा अनुमोदित निर्देश इन कंपनियों में एकसमान रूप से लागू किये जाएंगे। जिन नियम अथवा निर्देशों का अनुमोदन राज्य शासन द्वारा किया जाना हो उसका प्रस्ताव प्रबंध संचालक पावर मैनेजमेंट कंपनी ऊर्जा विभाग को भेजेंगे। समिति की बैठक प्रत्येक माह में कम से कम एक बार अवश्य आयोजित की जाए।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि विद्युत कंपनियों के प्रबंधन की उदासीनता के कारण मानव संसाधन की नीतियों में भारी विसंगतियां उत्पन्न हो गई हैं। एक ही विभाग की तीन कंपनियों में कर्मचारियों के लिए अलग-अलग नियम लागू किये जा रहे हैं। इन विसंगतियों के कारण सभी वर्ग के कर्मचारियों को अनेक नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं अनेक मामलों में कोई निर्णय नहीं लिए जाने से वे सालों से पेंडिंग पड़े हुए हैं। खासतौर पर अनुकंपा नियुक्ति, कंपनी टू कंपनी ट्रांसफर जैसी कर्मचारियों की मांगों पर कोई सार्थक निर्णय नहीं लिया जा सका है। तीनों विद्युत वितरण कंपनी और पावर मैनेजमेंट कंपनी प्रबंधन कर्मचारी हित में शीघ्र बैठक आयोजित करे।