जीपीएफ खातों से गायब लाखों रुपये: बीमारी में भी काम नहीं आ पा रहा अपना पैसा

मप्र तृतीय वर्ग, शासकीय कर्मचारी संघ के योगेन्द्र दुबे ने बताया है कि कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि खातों से लाखों रूपये गायब हैं। लेखा एवं हकबंदी भोपाल से दी जा रही लेखा पर्चियों में राशि ही जमा नहीं है। कुछ खातों में 10 लाख जमा हैं, लेकिन लेखा पर्ची में 1 लाख जमा दिखाये जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि कर्मचारियों और उनके परिजनों के गंभीर बीमारी पर भी कोषालय द्वारा अग्रिम स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। जिससे कर्मचारी अपने वेतन से काटी गई राशि का ही उपयोग नहीं कर पा रहा है। कार्यभारित स्थापना के हजारों कर्मचारियों के मासिक वेतन से विभागीय भविष्य निधि में लाखों रूपये काट कर जमा किये गये थे, खाते जीपीएफ में ट्रांसफर तो कर दिये गये लेकिन राशि ट्रांसफर नहीं की गई।

जिससे हजारों समयपाल, वाहन चालक, चौकीदार, माली, चपरासी, हेल्पर, स्थाई, कुशल, अर्धकुशल, अकुशल, स्वीपर, खानसामा, पंप अटेन्डेन्ट, फिटर, वनपाल, सफाई कर्मचारी आज 1 अक्टूबर को भी खातों में पैसा ट्रांसफर करवाने के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहे है।

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के अरर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, दुर्गेश पांडेय, नितिन अग्रवाल, गगन चौबे, तरूण पंचौली, धीरेन्द्र सोनी, मो. तारिक, विनोद पोद्दार, सुरेन्द्र जैन, केपी दुबे, मुन्ना लाल नामदेव, आशुतोष तिवारी, विपिन शर्मा, सुधीर पंडया, चंदू जाउलकर, उमेश पाशी, मस्तराम राय, डॉ संदीप नेमा, मंसूर बेग, विमल कोस्टा, देवेन्द्र प्रताप सिंह, सुनील श्रीवास्तव, चंद्र कुमार छीपा, श्रीराम झारिया, श्याम बाबू मिश्रा, प्रमोद पासी, प्रशांत शुक्ला, नितिन शर्मा ने कार्यालय प्रमुखों से खातों में सुधार करवाने की मांग की है। संघ द्वारा चेतावनी दी गई है कि खातों जल्द सुधार नहीं कराया गया तो संबधित कार्यालय प्रमुखों के कार्यालयों में उग्र आन्दोलनों का रास्ता अपनाया जाएगा।