WCR ने कबाड़ बेचकर ही कमा लिए करोड़ों, किया 26 हज़ार मीट्रिक टन स्क्रैप का निपटारा

कोविड की चुनौतियों के बावजूद पश्चिम मध्य रेलवे स्क्रैप के निपटान का लक्ष्य पूरा करने में हमेशा ही अग्रणी रहा है। गौरतलब है कि पमरे ने पिछले वर्ष 2020-21 में भी कोविड महामारी की कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए लक्ष्य से अधिक स्क्रैप का निपटान करके करोड़ों का राजस्व हासिल कर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी।

इसी श्रृंखला में इस वर्ष 2021-22 में भी पिछले छह महीनों में लगभग 113 करोड़ का स्क्रैप निपटारा करके रेल राजस्व में वृद्धि हुई है। इस प्रकार पमरे के तीनों मण्डलों और दोनों कारखानों में कुल 26281 मीट्रिक टन स्क्रैप का निपटान करके रुपये 112.89 करोड़ रेल राजस्व अर्जित किया।

पमरे को स्क्रैप रेल मटेरियल से 11178 मीट्रिक टन से 43 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई। स्क्रैप फेरस से 8695 मीट्रिक टन से 32 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई। स्क्रैप नॉन फेरस से 416 मीट्रिक टन से 5 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई। 87 स्क्रैप वैगन से 3 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई। 19 स्क्रैप कोचेस से 89 लाख रुपये की आय प्राप्त हुई। 7 स्क्रैप लोको से 2 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई। अन्य स्क्रैप 3282 मीट्रिक टन का निपटान करके 19 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई। आरडब्ल्यूपी/आरडब्ल्यूएफ द्वारा स्क्रैप मटेरियल से 2710 मीट्रिक टन से 8 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई ।

रेलवे में स्क्रैप निपटारा होने से खाली जगहों की कई उपयोगिता साबित हुई है। रेलवे में स्क्रैप निपटान से राजस्व में वृद्धि होती है। साथ ही अन्य स्रोत की आय में भी बढ़ोत्तरी हुई। स्क्रैप निपटान से खाली हुई जगह को अन्य रेलवे द्वारा गतिविधियों के लिए उपयोग में लायी जा सके। इस निपटान से रेल खंड भी साफ-सुथरा रहता है, जो यात्रियों को सुगम एवं अच्छा यात्रा का अनुभव कराता है। इसके साथ ही स्क्रैप मटेरियल में कमी होती है।