Saturday, May 4, 2024
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मुख्य अभियंता की हिटलरशाही से त्राहिमाम, कई बिजली कर्मी नौकरी छोड़ने को तैयार

बिजली कंपनी के एक आला अधिकारी की कार्यप्रणाली और हिटलरशाही से बिजली कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। नियम विरुद्ध कार्य कराए जाने और बेवजह मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने से कई बिजली कर्मी तो नौकरी छोड़ने को तक तैयार बैठे हैं।

मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि जब से पूर्व क्षेत्र कंपनी के अंतर्गत जबलपुर क्षेत्र के नए मुख्य अभियंता द्वारा कार्यभार संभाला गया है, इसके बाद अधिकारियों एवं कर्मचारियों को राजस्व वसूली को लेकर लगातार बेहद प्रताड़ित किया जा रहा है। दिन में घंटों ऑनलाइन मीटिंग लेकर टारगेट तय किए जाते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए मैदानी कर्मचारियों पर क्रूरतम तरीके से दबाव बनाया जाता है।

हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि सभी को कार्य पूरा करने के लिए टारगेट देना अच्छी बात है, किंतु संघ आपका ध्यान इस ओर भी आकर्षित करना चाहता है जिस अनुपात में टारगेट दिया जा रहा है उसके अनुसार न ही मैनपावर है और न ही संसाधन हैं। उन्होंने कहा कि पहले जहां एक फीडर में जहां लगभग पांच कर्मचारी हुआ करते थे, वहीं वर्तमान में इसके विपरीत मात्र एक या दो कर्मचारी ही बचे हैं, उनमें भी बहुतायत में संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारी हैं।

हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि नियमानुसार संविदा एवं आउटसोर्स कर्मियों को करंट का कार्य करने का अधिकार ही नहीं है। वहीं जो नियमित कर्मचारी बचे हैं, वे सब उम्रदराज के हो चुके हैं। इससे वो भी पोल पर चढ़कर कार्य करने में फिट नहीं हैं। इसके बाद भी कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही के निर्देश जारी किए गए हैं, उससे समस्त कर्मचारियों में डर एवं दहशत व्याप्त है, साथ ही मानसिक तनाव के चलते बीमार पड़ रहें है। इतना ही नहीं दबाव और तनाव में कार्य करने के दौरान दुर्घटना की संभावना भी बढ़ रही है।

संघ के रमेश रजक, एसके मौर्य, केएन लोखंडे, जीके कोस्टा, एसके शाक्य, एसके सिंह आदि ने जबलपुर रीजन के मुख्य अभियंता से मांग की है कि उनकी कार्यप्रणाली के कारण मैदानी क्षेत्रों में कार्यरत छोटा कर्मचारी बहुत ही ज्यादा भयभीत हो गया है। लाइन कर्मचारी हमेशा करंट का कार्य करता है, अत्यधिक मानसिक तनाव के कारण उसके साथ कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है। अत्यधिक दबाव में कार्य करने के बाद भी तकनीकी कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश नहीं दिया जा रहा है, मानव अधिकारों का हनन एवं श्रम नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए।

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