एमपी हाईकोर्ट का निर्देश: विद्युत कंपनी 90 दिन में करे संविदा कर्मियों के 25 बिंदुओं का निराकरण

मध्य प्रदेश की विद्युत कंपनी के अमानवीय रवैये से हताश हो चुके संविदा कर्मियों ने अपने हक़ और न्याय के लिए एमपी हाईकोर्ट की शरण ली। मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संविदा कर्मियों की ओर मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ ने 25 बिंदुओं को लेकर एमपी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर एमपी हाईकोर्ट ने पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन को 25 बिंदुओं पर नियमानुसार निर्णय लेने हेतु 90 दिन का समय दिया है।

तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव और अरुण मालवीय ने प्रेसवार्ता में बताया कि अनेक वर्षों से लगातार संविदा कर्मियों के नियमितीकरण के लिए प्रयास किया जा रहा था। जिसमें प्रदेश सरकार और कंपनी प्रबंधन से अनेक बार गुहार लगाई गई। इसी कड़ी में जन संकल्प 2013 में सरकार से संविदा कर्मियों के नियमितीकरण को शामिल कराया, लेकिन सरकार के द्वारा नियमितीकरण न करते हुए संविदा पॉलिसी के नियमों में बार-बार परिवर्तन किया गया।

उन्होंने बताया कि इन संविदा नियमों की आड़ में सरकार एवं विद्युत कंपनी द्वारा मानवाधिकारों एवं श्रम कानूनों का उल्लंघन कर कर्मियों का शोषण किया जा रहा था। इन नियमों में उचित संशोधन करने हेतु भी हमारे द्वारा सरकार एवं प्रबंधन से निवेदन किया गया, लेकिन जब किसी ने भी हमारी बात नहीं सुनी तब संगठन के द्वारा न्यायालय की शरण में जाने का निर्णय लिया गया और 8 जून 2021 को बिजली कंपनी के संविदा कर्मियों के 25 बिंदुओं को लेकर हम न्यायालय की शरण में गये। 

संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय द्विवेदी ने 30 जुलाई को पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन को निर्देश दिए कि संविदा कर्मियों के 25 बिंदुओं पर 90 दिन के अन्दर नियमानुसार निर्णय लेते हुए निराकरण किया जाए। संघ की ओर से अधिवक्ता अभिलाष डे ने पैरवी की।

संघ ने जिन बिंदुओं पर न्यायालय की शरण ली थी, उनमें मुख्य बिंदु हैं-  हर 3 वर्ष में दिए जाने वाला ब्रेक समाप्त कर 60 वर्ष की उम्र तक अनुबंध किया जाए। बंद किया गया एनपीएस पुनः प्रारंभ किया जाए। 3 जुलाई 2015 की वेतन विसंगति दूर की जाये। संविदा कर्मियों का 20 लाख का बीमा एवं मेडिकल सुविधा दी जाए। 1% इंक्रीमेंट की जगह 3% इंक्रीमेंट प्रतिवर्ष दिया जाये। वर्ष में दो बार घोषित DA दिया जाए। बेसिक में बढ़ोतरी की जाये व एक बोनस प्रमोशन, जोखिम भत्ता, रात्रिकालीन भत्ता, एक्स्ट्रा वेतन आदि दिया जाये। आईटीआई पास संविदा कर्मियों को चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी में परिवर्तन किया जाए। विभागीय वरीयता के आधार पर संविदा कर्मियों का नियमितीकरण किया जाये।

प्रेसवार्ता में संघ के एसके मौर्या, रमेश रजक, केएस लोखंडे, जेके कोस्टा, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, अजय कश्यप, लखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मेश्राम, दशरथ शर्मा, मदन पटेल, शशि उपाध्याय, महेश पटेल, आजाद सिंह, वीरेंद्र रोहिताश, गोपाल यादव, जगदीश मेहरा, पुरुषोत्तम पटेल, मुकेश पटेल आदि उपस्थित रहे।