संस्कारधानी की उपेक्षा: अनेक सैनिक मुख्यालय होने के बाद भी जबलपुर में नहीं है सैनिक स्कूल

मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया कि संस्कारधानी जबलुपर में 6 ऑर्डनेंस फैक्ट्री, अनेक सैनिक मुख्यालय व अनेक केन्द्रीय विभाग होने के फलस्वरूप प्रदेश में सबसे अधिक केन्द्रीय कर्मचारी कार्यरत व निवासरत् हैं। जिन्हें अपने बच्चों की शिक्षा सैनिक स्कूल में कराने हेतु प्रदेश के एक मात्र सैनिक स्कूल रीवा पर आश्रित रहना पडता है।

प्रदेश का एक मात्र सैनिक स्कूल होने के कारण वहाँ पर दाखिला पाना सभी के लिए आसान नहीं होता है व सैनिक स्कूल एक सपना सा प्रतीत होता है। संस्कारधानी जबलपुर में सैनिक स्कूल न होना सस्कारधानी की उपेक्षा प्रतीत हो रही है। संस्कारधानी जबलपुर में लाखों केन्द्रीय कर्मचारी होने के फलस्वरूप आयकर भुगतान में प्रदेश में संस्कारधानी अव्वल रहती है, इसके बाद भी सरकार द्वारा जबलपुर की सैनिक स्कूल की स्थापना न किया जाना समझ से परे है।

जबलपुर में सैनिक स्कूल न होना केन्द्रीय कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार है, जिसके कारण वे अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। जबलपुर में सैनिक स्कूल की स्थापना किये जाने से केन्द्रीय कर्मचारियों के साथ-साथ संभाग के अन्य जिलों के बच्चों का भी इसका लाभ प्राप्त होगा व जबलपुर के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।

संघ के योगेन्द्र दुबे, अरवेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, नरेन्द्र दुबे, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, आलोक अग्निहोत्री, मुन्ना लाल पटेल, दुर्गेश पाण्डेय, सुरेन्द्र जैन, शकील अंसारी, प्रकाश सेन, राकेश सेंगर, प्रकाश जैन, मुन्नालाल पटेल, गोविन्द बिल्थरे, चन्दु जाउलकर, विवके तिवारी, नितिन अग्रवाल, श्याम नारायण तिवारी, प्रणव साहू, मनोज सेन, राकेश दुबे, गणेश उपाध्याय, मो. तारिक, धीरेन्द्र सोनी, महेश कोरी नितिन शर्मा, विनय नामदेव, संतोष तिवारी आदि ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि संस्कारधानी जबलपुर में सैनिक स्कूल की स्थापना की जाये।

जिससे जिले के साथ-साथ संभाग के अन्य जिलों के बच्चों को भी उसका लाभ प्राप्त हो सके। संघ सांसद, जिले के विधायक व जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराने हेतु शीघ्र ही ज्ञापन सौंपेगा।